यूपी। कैबिनेट मंत्री राकेश सचान पर कोर्ट से सजा की फाइल लेकर भागने का आरोप है. अवैध हथियार के एक पुराने मामले में शनिवार को कानपुर की एक अदालत ने सचान को दोषी करार दिया था. दरअसल, राकेश छात्र जीवन में छात्र राजनीति के नेता रहे हैं. उन पर चल रहे कई मुकदमे छात्र जीवन से जुड़े हैं. जिस मामले की फाइल लेकर भागने का आरोप उन पर लगा है, वह 1991 में उनके छात्र जीवन के समय का एक केस है.
नौबस्ता इलाके में 31 साल पहले नृपेंद्र सचान की दो लोगों के साथ हत्या हुई थी. उस समय राकेश सचान को नौबस्ता एसओ ब्रजमोहन ने एक राइफल के साथ पकड़ा था, जिसका लाइसेंस उनके पास नहीं था. हालांकि राकेश सचान दावा करते हैं कि राइफल उनके मेरे नाना की थी. पुलिस ने जानबूझकर उन्हें पकड़ लिया. यही मुकदमा तब से कोर्ट में चल रहा था. जिस पर शनिवार को एसीएमएम थर्ड कोर्ट अपना जजमेंट देने जा रही थी. लेकिन आरोप है कि राकेश सचान वह पत्रावली लेकर भाग गए. राकेश पर इसके अलावा 3 मुकदमे और चल रहे हैं. इनमें दो ग्वालटोली थाने में दर्ज हुए थे, जबकि एक कोतवाली में दर्ज है. इनमे कोतवाली में भी उन पर आर्म एक्ट का केस है, जबकि ग्वालटोली में एक मामला 323 ,504 353 का है. जबकि दूसरा भी हिंदी भवन में बवाल करने का है. राकेश सचान ने 2014 में अपने शपथ पत्र में 8 मुकदमों का खुलासा किया था. तब उन पर 4 केस चल रहे थे. जबकि एक केस में वह बरी हो चुके हैं.
इन केसों को वापस लेने के लिए सपा और बीजेपी प्रयास करती रही हैं. खुद राकेश सचान ने बताया कि उन पर ये केस छात्र जीवन के समय के हैं, जिनको अखिलेश सरकार ने भी वापस लेने का आदेश किया था. उस समय किसी कारण से वापस नहीं हो पाए. इस बार हमारी सरकार ने भी केस वापस लेने का आदेश डीएम के यहां भेजा है. वह प्रक्रिया चल रही है. शनिवार को इसी कोर्ट में राकेश सचान के तीन केस एक साथ लगे थे. जिनमे ग्वालटोली वाले दोनों केसों की तारीख थी, जबकि नौबस्ता वाले आर्म्स एक्ट में जिरह पूरी होकर जजमेंट लगी थी.
राकेश सचान किदवई नगर के रहने वाले हैं. राकेश 1993 में समाजवादी पार्टी से घाटमपुर से पहली बार विधायक बने. 2002 में दोबार विधायक बने. 2009 में उन्होंने फतेहपुर लोकसभा से समाजवादी पार्टी से चुनाव जीता. राकेश सचान 2019 में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से अनबन के चलते कांग्रेस में शामिल हो गए. 2019 में राकेश कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा का चुनाव फतेहपुर सीट से लड़े. लेकिन हार गए. इसके बाद 2022 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा में शामिल होते ही भोगनीपुर से उन्हें टिकट मिला. विधायक बनते ही वह सीधे कैबिनेट मंत्री भी बन गए. उन्होंने समाजवादी पार्टी के नरेंद्र पाल सिंह को भारी मतों से हराकर विधायक कुर्सी पर कब्जा किया था. छात्र राजनीति के दौरान भी राकेश सचान को एक दबंग छात्र नेता के रूप में पहचाना जाता था .
राकेश सचान की एक खासियत ये रही है कि वे सपा में हों या कांग्रेस में या बीजेपी में, बड़े नेताओ तक उनकी पहुंच रही है. उनकी फोटो गैलरी साबित करती है कि अखिलेश आज भले ही उनके आरोप पर ट्वीट कर रहे है. जब राकेश सपा में थे तो उनके ख़ास थे. इसके अलावा राकेश जब कांग्रेस में थे तो राहुल गांधी और प्रियंका के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी बन गए थे. अब बीजेपी सरकार में भी उनको कई बड़े नेताओ का वरदहस्त प्राप्त है.