कोयला बनाने वाले ठेकेदारों ने CM सुक्खू को सौंपा ज्ञापन

Update: 2025-02-06 11:01 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल के मैदानी इलाकों में लकड़ी और कोयले के ठेकदारों ने सूख चुके चीड़ के पेड़ों को ठिकाने लगाने की अनुमति मांगी है। उनका कहना है कि समय रहते इन पेड़ों का कोयला नहीं निकाला गया, तो उन्हें लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा। राज्य सरकार ने हाल ही में हरे पेड़ों को काटने पर प्रतिबंध लगाया था और इसकी जद में अब वे भी आ गए हैं। अपनी इस मुश्किल का समाधान ढूंढने ऊना, हमीरपुर व बिलासपुर समेत अन्य जिलों के किसान मुख्यमंत्री सुक्खू से मुलाकात करने मंगलवार को शिमला पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा है। इसमें उन्होंने बताया कि वे चीड़ के सूखे पेड़ों को काटने और इससे कोयला बनाने का काम करते हैं। वे सभी वन विभाग के साथ पंजीकृत हैं और वन विभाग के नियमानुसार निजी भू-मालिकों से सूखे चीड़ के पेड़ खरीद कर वन विभाग से अनुमति लेकर निजी जंगलों में कोयला भट्ठियां
लगाते हैं।


कोयला तैयार करते हैं और इससे अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं। उन्होंने कहा कि सीजन को देखते हुए उन्होंने भू-मालिकों से चीड़ के सूखे पेड़ खरीद लिए थे। इसके बाद वन विभाग इन पेड़ों की मार्किंग कर रहा था। कुछेक जगहों पर इन पेड़ों को काटने की अनुमति भी मिल गई थी, लेकिन इस बीच राज्य सरकार ने हरे पेड़ों के कटान पर प्रतिबंध लगा दिया। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद चीड़ के सूखे पेड़ों का कटान भी रुक गया है। चीड़ की सूखी पत्तियों और पेड़ों में गर्मी के दौरान आग लगने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। ऐसे में समय रहते कटान न किया गया, तो उनके लाखों रुपए बर्बाद हो सकते हैं। इस बारे में वन विभाग के अधिकारियों को भी जानकारी दी गई है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने उनसे मुलाकात करने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल को उनकी समस्या के जल्द समाधान का आश्वासन दिया है। सरकार इस संबंध में तथ्यों के आधार पर उचित फैसला करेगी।
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