कोलकाता (एजेंसी): 2024 के लोकसभा चुनाव की बड़ी लड़ाई से पहले तृणमूल कांग्रेस शुक्रवार को अपना आखिरी 'शहीद दिवस' आयोजित करेगी। इसलिए सारा ध्यान उस संदेश पर होगा जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस को दे सकती हैं।
सवाल है कि क्या वह लोकसभा चुनाव के लिए देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के साथ किसी भी तरह की बातचीत से पूरी तरह इनकार करेंगी, जैसा कि वह पिछले कुछ महीनों से कर रही हैं या फिर दोस्ती का संदेश देंगी या पूरी तरह से कांग्रेस का नाम लेने से परहेज करेंगी।'
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि ये तीनों संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री अच्छी तरह से जानती हैं कि कहां और कब क्या बोलना है और कब चुप रहना है। शहर के एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, "चाहे वो कुछ बोलें या चुप्पी साधें... यह निश्चित रूप से संकेत देगा कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस-तृणमूल समीकरण आने वाले दिनों में किस ओर जाएगा।"
'शहीद दिवस' रैली ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर हो रही है जब कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के ममता बनर्जी के साथ मंच साझा करने को लेकर कांग्रेस के पश्चिम बंगाल नेतृत्व के बीच असंतोष की आवाजें उठ रही हैं।
देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के राज्य नेताओं ने अपने राष्ट्रीय नेताओं के ममता बनर्जी के साथ मंच साझा करने के औचित्य पर सवाल उठाया है। उनकी अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हमलों का सामना करना पड़ा है।
दिलचस्पी इस बात को लेकर भी है कि अगर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो मंच से कोई संदेश देंगी तो क्या वह सिर्फ कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए ही देंगी या राज्य नेतृत्व को भी देंगी।