शिक्षा नीति के बड़े परिवर्तन: दोहरी डिग्री, खेल, मनचाहे विषय, मातृभाषा, बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव

Update: 2023-05-28 05:48 GMT

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नई दिल्ली (आईएएनएस)| उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आने वाले नए सत्र से क्रांतिकारी बदलाव आने जा रहे हैं। अब यूनिवर्सिटी के छात्र एक साथ 2 कोर्स में दाखिला ले सकेंगे। खेलों को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा छात्र परीक्षा स्थानीय भाषाओं में दे सकेंगे। भारतीय भाषाओं के विकास को बजटीय प्रोत्साहन भी मिला है। साल में दो बार बोर्ड परीक्षा और 12वीं कक्षा के लिए एक सेमेस्टर प्रणाली जैसी व्यवस्थाओं पर भी काम किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के आधार पर एनसीईआरटी किताबों में बदलाव कर रहा है।
भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति घोषित की गई थी। 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है। यह शिक्षा नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
नई शिक्षा नीति के तहत यूनिवर्सिटी के छात्र एक साथ 2 कोर्स में दाखिला ले सकेंगे। सरकारी तौर पर इस योजना को मंजूरी मिल चुकी है। वहीं देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने भी इस योजना को अपनी मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्वीकृति के बाद यहां पढ़ने वाले छात्र दूसरे कोर्स में एडमिशन लेने के लिए ऑफलाइन पढ़ाई भी कर सकेगें। छात्रों के पास विकल्प होगा कि वे एक कोर्स ऑफलाइन रेगुलर कक्षाओं के जरिए और दूसरा कोर्स डिस्टेंस लनिर्ंग सिस्टम के माध्यम से कर सकते हैं।
शिक्षा नीति के अंतर्गत ही खेलों को शिक्षा से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है। देश की नई शिक्षा नीति में इसके प्रावधान हैं। उच्च शिक्षा के सबसे अग्रणी संस्थानों में शुमार 'इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट' (आईआईएम) ने भी इस सिलसिले में बड़ी पहल की है।
खेल मैनेजमेंट, आईआईएम के पाठ्यक्रम का हिस्सा बने हैं। आईआईएम में स्पोर्ट्स इवेंट मैनेजर, स्पोर्ट्स मार्केटिंग, स्पोर्ट्स एजेंट, स्पोर्ट्स टैलेंट मैनेजर, सपोर्ट एनालिस्ट, मीडिया एंड कम्युनिकेशन मैनेजर जैसे कई कोर्स डिजाइन किए गए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में इस प्रशिक्षण का लाभ देखने को मिलेगा।
वहीं नए बदलावों को लागू करने के साथ ही, जल्द उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र विश्वविद्यालय स्तर की परीक्षाएं स्थानीय भाषाओं में दे सकेंगे। देशभर के सभी विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वह विद्यार्थियों को परीक्षा में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दें। यूजीसी ने देशभर के सभी विश्वविद्यालय से कहा है कि भले ही पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हो, लेकिन छात्रों को परीक्षा के दौरान स्थानीय भाषाओं में उत्तर देने का विकल्प दिया जाए।
उधर भारतीय भाषाओं के विकास को बजटीय प्रोत्साहन मिला है। युवाओं के बीच स्वदेशी भाषाओं और भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बजट में यह खास प्रावधान किए गए हैं।
भारत की क्षेत्रीय भाषाओं को पढ़ाने, बढ़ाने और युवाओं को इस ओर प्रोत्साहित करने के लिए 300.7 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस बार यह बीते वर्ष 2022-23 के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक है। वहीं यदि भारतीय ज्ञान प्रणाली यानी इंडियन नॉलेज सिस्टम की बात की जाए तो इसके फंड में 100 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने बताया कि आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया है कि विद्यार्थियों को परीक्षा में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दी जाए, भले ही पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हो।
मौलिक लेखन का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद तथा शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में स्थानीय भाषा के उपयोग को विश्वविद्यालयों में बढ़ावा दिया जाए। शिक्षा में भारतीय भाषाओं का संवर्धन और नियमित उपयोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ध्यान देने योग्य एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह नीति स्थानीय भाषाओं में शिक्षण और सम्प्रेषण के महत्व पर बल देती है। इसमें शिक्षार्थियों के बेहतर संज्ञानात्मक उपलब्धि और समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए सभी भारतीय भाषाओं में सम्प्रेषण को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञों का पैनल साल में दो बार बोर्ड परीक्षा और 12वीं कक्षा के लिए एक सेमेस्टर प्रणाली का पक्षधर है। वहीं बोर्ड परीक्षाओं के पैटर्न में भी बदलाव संभव हैं। छात्रों से ऐसे प्रश्न भी पूछे जाएंगे जो वास्तविक जीवन के अनुप्रयोगों पर आधारित होंगे।
सीबीएसई 2023 से 24 के शैक्षणिक सत्र से कक्षा 9, 10, 11 और 12 के लिए 20 प्रतिशत एमसीक्यू आधारित प्रश्न भी प्रश्न पत्रों में जोड़ेगा। गौरतलब है कि यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर किए जा रहे हैं।
वहीं एनसीईआरटी शिक्षा नीति पर आधारित नई पुस्तकें लाने जा रहा है। एनसीईआरटी ने आईएएनएस को बताया कि यह बदलाव एक्सपर्ट एडवाइस के आधार पर किए गए हैं। उनका कहना है कि एनसीईआरटी अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर सभी कक्षाओं के लिए नई पुस्तकें लाने जा रहा है। फाउंडेशन स्तर पर नई पुस्तकें बनाने का कार्य तो पूरा भी हो चुका है।
शिक्षा नीति के आधार पर ही यूजी और पीजी स्तर पर भारतीय ज्ञान परंपरा के कई नए कोर्स सुझाए गए हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित इन नए पाठ्यक्रमों में फाउंडेशन और कुछ ऐच्छिक कोर्स हैं। ऐच्छिक कोर्स में भारतीय भाषा विज्ञान, भारतीय वास्तु शास्त्र, भारतीय तर्क, धातु शास्त्र, आदि हैं।
इनमें भारतीय ज्योतिषीय उपकरण, मूर्ति विज्ञान, बीज गणित, भारतीय वाद्य यंत्र, पूर्व ब्रिटिशकालीन का जल प्रबंधन भी है। फाउंडेशन कोर्स में वेदांग, भारतीय सभ्यता व साहित्य, भारतीय गणित, ज्योतिष, भारतीय स्वास्थ्य विज्ञान व भारतीय कृषि जैसे विषय हैं।
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