नॉएडा क्राइम न्यूज़: ग्रेटर नोएडा वेस्ट एरिया के तुस्याना गांव में हुए सरकारी भूमि के घोटाले में मुख्य आरोपी राजेंद्र सिंह और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) के पूर्व महाप्रबन्धक रविंद्र तोंगड समेत अन्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। पुलिस की जांच धीमी पड़ गई है। दूसरी तरफ इस घोटाले का खुलासा करने वालों और हाईकोर्ट तक पहुंचाने वाले लोगों को जान का खतरा सता रहा है। अब इन लोगों ने पुलिस कमिश्नर से जानमाल की हिफाजत की मांग की है। वहीं, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ, एसीईओ, जीएम और डीजीएम से लेकर ड्राफ्टमैन तक 6 अधिकारी व कर्मचारी घोटाले में शामिल बताए जा रहे हैं।
तुस्याना गांव में ग्राम समाज की सरकारी जमीन 191 बीघा पुख्ता (करीब 2 लाख वर्गमीटर) का फर्जी पॉवर ऑफ अटार्नी तैयार करके 30 दिसंबर 1998 को मुआवजा उठा लिया गया था। मुआवजा उठाने वालों के खिलाफ अदालत के आदेश पर नामजद रिपोर्ट दर्ज है। जिसमें राजेंद्र सिंह, श्वेता पत्नी मनोज, मधु सिंह पुत्री जीएम कंबोज और रविंद्र तोंगड समेत दर्जनों लोग शामिल हैं। मुआवजे के बाद 6 प्रतिशत प्लॉट की रजिस्ट्री करने के मामले में अथॉरिटी के प्रबंधक कैलाश भाटी, कमल सिंह और दीपक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अन्य आरोपी अभी फरार हैं।
आपको बता दें कि 6 प्रतिशत आाबदी का प्लॉट तुस्याना गांव से उठाकर नॉलेज पार्क-1 में सूरजपुर-कासना रोड पर लगाया गया। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ, एसीईओ, ओएसडी, जीएम, डीजीएम, वरिष्ठ कार्यपालक (नियोजन) और वरिष्ठ ड्राफ्टमैन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मामले का भंडाफोड़ करने वाले लोगों ने अब इस मामले में मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है।