महाब्रह्मऋषि कुमार स्वामी को जगद्गुरु की उपाधि

Update: 2025-02-04 11:34 GMT
Prayagraj. प्रयागराज। प्रयागराज महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े की छावनी में निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी की अध्यक्षता और संत महापुरुषों के सानिध्य में महामंडलेश्वर महाब्रह्मऋषि श्रीकुमार स्वामी का पट्टा अभिषेक कर जगद्गुरु की उपाधि से विभूषित किया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि जो सम्मान महामंडलेश्वर स्वामी महाब्रह्मऋषि कुमार स्वामी को मिला है, ऐसा सम्मान किसी व्यक्ति के अद्वितीय योगदान और आध्यात्मिक उत्कृष्टता की पहचान होता है। महाब्रह्मऋषि कुमार स्वामी द्वारा किए गए कार्य समाज और धर्म के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। इस तरह के सम्मान से न केवल उनका योगदान सराहा जाता है, बल्कि संत परंपरा और धर्म की महानता को भी बढ़ावा मिलता है। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि संत महापुरुष जो भी कार्य करते हैं, वे केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समस्त मानवता के भले के लिए
करते हैं।
उनका जीवन दूसरों की सेवा, प्रेम और कल्याण के लिए समर्पित होता है। वे हमेशा लोगों को अच्छाई की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं और अपने कार्यों से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते हैं। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज ने कहा कि संत कभी अहंकार नहीं करते। उनका जीवन विनम्रता, त्याग और आत्मज्ञान से परिपूर्ण होता है। संतों का अहंकार से कोई संबंध नहीं होता, क्योंकि वे स्वयं को बस एक साधारण साधक मानते हैं और अपने ज्ञान या शक्ति का कभी घमंड नहीं करते। उनका उद्देश्य केवल भगवान की सेवा और दूसरों की भलाई होता है, न कि खुद को श्रेष्ठ दिखाना। इसलिए महाब्रह्मऋषि कुमार स्वामी अपने तपबल से विश्व के श्रद्धालुओं का कल्याण कर रहे हैं। इस अवसर पर अखाड़े के सचिव महंत रामरतन गिरी, महंत ओमकार गिरी, महंत राधे गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी महेश नंद, महंत दिनेश गिरी, महंत दर्शन भारती, महामंडलेश्वर स्वामी अनपूर्णा भारती, श्री महंत राधे गिरी, स्वामी मीरा गिरी, स्वामी प्रेमानंद पुरी (अर्जी वाले हनुमान जी उज्जैन) प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, प्रो. राम सलाही द्विवेदी, प्रो. शिवशंकर मिश्र, स्वामी अनंतानंता नंद, स्वामी आदि योगी पुरी, महंत दिनेश गिरी, महंत राकेश गिरी, महंत राज गिरी आदि के संग अनेक संत महापुरुष उपस्थित रहे।
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