लंपी वायरस का कहर, वायरोलॉजिस्ट्स ने कही यह बात

Update: 2022-08-08 10:04 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: कोरोना के बाद नई-नई बीमारियां सामने आ रही हैं. पहले मंकीपॉक्स और अब लंपी वायरस (LSD) ने लोगों को चिंता में डाल दिया है. गुजरात-राजस्थान और पंजाब के अंदर पशुओं में तेजी से फैल रहे इस वायरस ने भैसों समेत हजारों जानवरों की जान ले ली है.

इस परेशानी के बीच एक भारतीय मूल के अमेरिकी पशु चिकित्सक (veterinary) ने पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए बड़ी तादाद में वैक्सीनेशन (टीकाकरण) करने का सुझाव दिया है. इसके अलावा डॉक्टर ने पशुओं को दूसरे जिलों में ले जाने पर रोक लगाने के लिए कहा है.
पिछले कुछ हफ्तों में इस वायरल इंफेक्शन के कारण राजस्थान और गुजरात में 3 हजार से ज्यादा पशु मारे गए. पंजाब में 400 से ज्यादा पशुओं को जान गंवानी पड़ी. इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RANA) के सदस्यों ने किसानों को समर्थन देना शुरू कर दिया है.
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ वेटनरी ऑफ इंडियन-ऑरिजिन के अध्यक्ष रवि मुरारका ने बताया कि पशुओं को इस बीमारी से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उनका सामूहिक टीकाकरण कराया जाए और उन्हें दूसरे जिले भेजने पर तत्काल रोक लगाई जाए. इससे घातक बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी. बता दें कि राजस्थान के रहने वाले मुरारका पशु कल्याण समुदाय के अध्यक्ष भी हैं.
मुरारका ने बताया कि मानसून के दौरान ही इस बीमारी का प्रकोप सामने आता है. हालांकि विशेषज्ञों के साथ इस पर बातचीत की जा रही है कि इस बीमारी से कैसे निपटा जाए और भारत को जरूरी टीके भेजे जाएं. उन्होंने कहा कि अभी राजस्थान में स्थिति बहुत गंभीर है. बड़े पैमाने पर पशुओं की मौत का किसानों और अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.
मुरारका ने बताया कि मच्छरों को नियंत्रित करना या वेक्टर को अतिसंवेदनशील जानवरों से दूर रखना महत्वपूर्ण है. जोखिम वाले जानवरों को मच्छरों से दूर रखने के लिए रात में घर के अंदर रखना चाहिए. रात में जानवरों को कहीं ले जाने से बचें. जोखिम वाले जानवरों को चूना, बुझा हुआ चूना या बुझे हुए चूने से ब्रश करने की सलाह दी जाती है, जो त्वचा पर एक परत बनाता है और मच्छरों की त्वचा तक पहुंचने की क्षमता को कम करता है.
लंपी स्किन डिजीज नाम की ये बीमारी पहले राजस्थान के पाकिस्तान की सीमा से सटे जिलों में फैली. लंपी स्किन डिजीज पहले जैसलमेर और बाड़मेर जैसे सीमावर्ती जिलों में फैली. अब ये बीमारी जोधपुर, जालौर, नागौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और अन्य जिलों में भी फैल रही है. प्रदेश में इस बीमारी के कारण अब तक 1200 से अधिक मवेशियों की जान जा चुकी है.
लंपी बीमारी की बात करें तो ये एक संक्रामक रोग है. लंपी की चपेट में आने वाले मवेशियों को बुखार आता है. मवेशी के पूरे शरीर में गांठ, नरम छाले पड़ जाते हैं. मुंह से लार निकलता है और आंख-नाक से भी स्राव होता है. पशु चिकित्सकों के मुताबिक दुग्ध उत्पादन में कमी आना, मवेशी का ठीक से भोजन नहीं कर पाना भी इस बीमारी के लक्षण हैं. इस बीमारी की चपेट में आने पर मवेशी के लंगड़ापन, निमोनिया, गर्भपात और बांझपन का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है.
लंपी वायरस की बात करें तो संक्रमण मच्छर-मक्खी और चारा के साथ ही संक्रमित मवेशी के संपर्क में आने से भी फैलती है. इसके इलाज के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है. ऐसे में डॉक्टर्स लक्षण के आधार पर उपलब्ध दवाओं का ही उपचार में उपयोग करते हैं. इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाए और मवेशियों को किसी संक्रमित मवेशी के संपर्क में आने से बचाया जाए.
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