
भुवनेश्वर. कई लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आपदा में अवसर' के सूत्र की आलोचना की तो कई लोगों ने इसे अपना जीवन मंत्र माना और इसी के आधार पर फिर से शुरूआत की. ऐसे ही हैं ओडिशा के रहने वाले इसाक मुंडा. जिन्होंने कोरोना काल में निर्माण कार्य बंद हो जाने की वजह से अपनी नौकरी गंवा दी थी. इस तरह यह दिहाड़ी मजदूर की जिंदगी भी उस मोड़ पर आकर खड़ा हो गया, जहां यह समझ में नहीं आ रहा था कि आगे जिंदगी कहां लेकर जाएगी. ऐसे में उन्होंने अपना एक वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड किया. जब वह यह वीडियो डाल रहे थे, उन्हें इस बात का ज़रा सा भी इल्म नहीं था कि वह जल्दी ही यूट्यूब स्टार बन जाएंगे, और देश ही नहीं विदेशों में भी उनके वीडियों को हाथों-हाथ लिया जाएगा.
कहानी की शुरुआत ऐसे हुई की काम छूट जाने के बाद जब इसाक अपने घर पर बैठे हुए थे और उनके बच्चे फोन पर यूट्यूब में कार्टून देख रहे थे, उसी दौरान उन्हें एक विज्ञापन सुनाई दिया. जिसमें बताया जा रहा था कि किस तरह लोग घर बैठे वीडियो अपलोड करके पैसे कमा सकते हैं. उन्हें लगा कि उन्हें भी कोशिश करनी चाहिए. इसाक को लगा कि उनके पास खोने को तो कुछ नहीं है. तो क्यों न यहां भी प्रयास किया जाए.
इस तरह से महज 7वीं कक्षा तक पढ़े मुंडा ने सबसे पहले यह सीखा कि यूट्यूब पर चैनल कैसे बनाया जाता है. फिर वहां मौजूद तमाम श्रेणियों में जिसमें ऑनलाइन क्लास से लेकर डांस तक थे, उन्हें लगा कि वह अपने गांव, अपने रहन सहन और खान-पान के बारे में बता सकते हैं. बस इस तरह से उन्होंने अपना पहला वीडियो तैयार किया. जिसमें मुंडा एक थाली में चावल, दाल, सब्जी, एक टमाटर और मिर्ची लेकर बैठे. इस खाने को उन्होंने शांति से खत्म किया और बाद में अपने दर्शकों को धन्यवाद दिया.
उनके इस वीडियो को एक हफ्ता गुजर जाने के बाद भी किसी ने नहीं देखा. दुखी इसाक ने हार नहीं मानी और दूसरे यूट्यूबर के वीडियो देखे और उन्हें पता चला कि इन वीडियो के प्रचार के लिए इन्हें दूसरे सोशल मीडीया माध्यमों पर भी डालना होता है.
उन्होंनें फेसबुक पर अपना अकाउंट खोला और उस पर अपना वीडियो डाला. इस बार उनका वीडियो 10-12 लोगों ने देखा. फिर उन्होंने ओडिशा का चर्चित खाना बासी पाखला यानी फरमेंटेड चावल का व्यंजन का आनंद लेते हुए वीडियो बनाया जो वायरल हो गया. कुछ ही दिनों में उनके 20000 सब्सक्राइबर बन चुके थे. यही नहीं अमेरिका, ब्राज़ील मंगोलिया में भी उनके वीडियो को देखा और सराहा गया.
दो साल बाद इसाक मुंडा के चैनल 'इसाक मुंडा ईटिंग' के करीब 8 लाख सब्सक्राइबर हैं, और उनके वीडियो को 10 करोड़ से ज्यादा बार देख जा चुका है. मुंडा अब खुद भी कैमरे को लेकर सहज हो चुके हैं. उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने रेडियो शो 'मन की बात' में उनकी चर्चा की थी.
यूट्यूब पर एक श्रेणी होती है mukbang. जिसमें लोग बड़े पैमाने पर खाना खाते हैं और लोगों से राय लेते हैं. इसकी शुरुआती सबसे पहले 2010 में दक्षिण कोरिया और जापान में हुई थी. फिर धीरे धीरे यह पूरी दुनिया में चर्चित हो गया. Mukbang चैनल के दुनिया भर में करोड़ों सब्सक्राइबर हैं, जिसमें भारत का मैडीइट्स भी शामिल है. मुंडा वैसे तो इस श्रेणी के बारे में कुछ नहीं जानते थे, इसलिए वह अलग-अलग चैनलों में अपने वीडियो डालते रहते थे.
फिर उन्हें इस श्रेणी के बारे में पता चला. उनके इस पूरे सफर में यूट्यूब ही उनका शिक्षक था, जिससे उन्होंने कैमरा खरीदने से लेकर वीडियो बनाने तक हर प्रकार की शिक्षा ग्रहण की. जब उन्होंनें यह काम शुरू किया तो उनके पास बचत के 3000 रुपये थे. इससे उन्होंनें अपने काम की शुरुआत की.
उनके वीडियो और काम के फर्क को इस तरह भी समझा जा सकता है कि जब उन्होंनें अपना पहला वीडियो डाला था, तो वह एक टेक में बनाया गया वीडियो था. जिसमें इसाक अपने खाने के बारे में बताकर उसका आनंद लेना शुरू करते हैं. तब से फरवरी 2022 तक के वीडियो में अंतर आ चुका है.
अब वह हर दिन का वीडियो नहीं बनाते हैं, बल्कि इसके लिए वह विशेष दिन का चुनाव करते हैं. जैसे गांव में कोई पार्टी है, या कोई और दूसरा विशेष कार्यक्रम है. कई लोगों को उनके वीडियो इसलिए पसंद आते हैं क्योंकि उसमें कोई बनावट नहीं होती है. वहीं कुछ लोगों को उनके वीडियो इसलिए पसंद हैं, क्योंकि इसाक खाने की कीमत जानते हैं और उसका सम्मान करते हैं.
जब इसाक दिहाड़ी मजदूरी करते थे तो उनकी रोज की कमाई 250 रुपये थी. उन्हें महीनें में 18-20 दिन काम मिलता था. अपने माता-पिता के साथ छह लोगों के परिवार के लिए इतना पैसा कुछ भी नहीं था. लेकिन जब से उनका चैनल चर्चित हुआ है, उनकी कमाई 3 लाख रुपया महीना तक पहुंच गई. अब इनके दर्शक कम हुए हैं तो यह महीने का 60-70 हजार रुपये कमा रहे हैं.
इन पैसों की बदौलत ही उन्होंने दो-मंजिला मकान बना लिया है. वह अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे भी बचा रहे हैं. यही नहीं उन्होंने एक सेकेंड हेंड कार भी ले ली है और उनके पास वीडियो एडिट करने के लिए एक लैपटॉप भी है. मुंडा अब अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में दाखिला दिलाना चाहते हैं ताकि उन्हें बेहतर शिक्षा मिल सके. उन्हें लगता है कि इतनी कम पढाई के बाद अगर वह इतना कर पाए तो उनके बच्चे अगर पढ़-लिख गए तो उनका भविष्य संवर जाएगा.