एक्टर के बहन-जीजा की कार एक्सीडेंट का लाइव वीडियो, डिवाइडर के ऊपर चढ़ी
देखें वीडियो.
धनबाद: शनिवार शाम मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी के बहनोई राजेश तिवारी की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। वीडियो में उनकी तेज रफ्तार कार डिवाइडर के ऊपर चढ़ती हुई नजर आ रही है। टक्कर इतनी जोरदार थी कि डिवाइडर के सामने लगा लोहा आसमान में उड़ गया। सड़क पर धूल उड़ने लगा। इस घटना में सड़क पार कर रही एक महिला की जान बाल-बाल बची। वहीं पंकज की बहन सविता तिवारी (51) गंभीर रूप से घायल हो गई हैं। यह झारखंड के निरसा में जीटी रोड पर शाम चार बजे की घटना है। इलाज के लिए सविता को देर रात कोलकाता रेफर कर दिया गया है।
हादसे के सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि एक महिला सड़क पार कर रही है। तेज रफ्तार में कार को आता देख वह बीच सड़क पर रुक गई। कार उसे एकदम छूते हुई निकली। महिला ने जो हाथ में सामान पकड़ा था वह हवा में उछल गया। और पलक झपते ही कार डिवाइडर से टकराकर रुक गई।
बताया गया कि राजेश तिवारी अपनी पत्नी सविता तिवारी के साथ बिहार के गोपालगंज स्थित कमालपुर से पश्चिम बंगाल के चित्तरंजन जा रहे थे। इस दौरान निरसा बाजार चौक से पहले तेज रफ्तार कार (डब्ल्यूबी44डी-2899) डिवाइडर से टकरा गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। पुलिस ने कार से दोनों को बाहर निकाला और धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा, जहां इमरजेंसी में डॉक्टरों ने राजेश तिवारी को मृत घोषित कर दिया।
दरअसल, पति-पत्नी चित्तरंजन स्थित अपने घर जा रहे थे, जो घटनास्थल से मात्र 28 किमी दूर है। बता दें कि पति-पत्नी गोपालगंज स्थित गांव से चित्तरंजन के लिए निकले थे। उन्हें 513 किमी की दूरी तय करनी थी। राजेश खुद कार चलाते हुए मंजिल के करीब पहुंच रहे थे। लेकिन रास्ते में ही हादसे में उनकी मौत हो गई। घटना की जानकारी मिलने के बाद पंकज त्रिपाठी मुंबई से फ्लाइट से कोलकाता के लिए निकल चुके हैं। कोलकाता में ही वे बहनोई के अंतिम यात्रा में शामिल होंगे। पोस्टमार्टम के बाद राजेश के शव को भी कोलकाता ले जाने की तैयारी है।
पंकज त्रिपाठी के बहनोई की मौत और बहन के घायल होने की सूचना पर बड़ी संख्या में लोग धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच गए, जिनमें कई उनके गांव के लोग थे, जो धनबाद में रहते हैं। कुछ रिश्तेदार भी शामिल थे।
सड़क हादसे में मारे गए राजेश तिवारी और घायल सविता तिवारी की पहचान होने के बाद मंत्री से लेकर अधिकारियों तक की पैरवी आने लगे। राज्य स्तर के अधिकारियों ने भी मेडिकल प्रबंधन को कॉल कर बेहतर चिकित्सा मुहैया कराने का आग्रह किया।