मां की ममता के आगे हार गया तेंदुआ, पढ़े ये मामला

Update: 2022-05-11 03:09 GMT

चंद्रपुर: महाराष्ट्र के चंद्रपुर में एक मां अपनी तीन साल की बेटी को बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई और उसके जबड़े से बच्ची को छुड़ा लिया. मामला दुर्गापुर परिसर का है. इस घटना के बाद लोगों ने वन विभाग के 10 अधिकारियों और कर्मचारियों को बंधक बना लिया. लोग इस तेंदुए को जान से मारने की मांग कर रहे थे.

बताया जा रहा है कि बीती रात 9 बजे बच्ची अपने घर के आंगन में बैठकर खाना खा रही थी. तभी अचानक से उस पर तेंदुए ने हमला कर दिया और घसीटकर ले जाने लगा. अपनी बच्ची को तेंदुए के जबड़े में देख कर मां के होश उड़ गए. उसने बिना देरी किए डंडा उठाया और तेंदुए के पीछे भागी. फिर उस पर डंडे से वार किया. डंडे का एक वार तेंदुए के मुंह पर पड़ते ही उसने बच्ची को छोड़ दिया.
वह फिर से हमला करने ही वाला था कि बच्ची की मां ने उस पर डंडे से लगातार कई वार कर दिए, जिसके बाद वह वहां से भाग गया. इस हमले में बच्ची की जान तो बच गई लेकिन वह गंभीर रूप से घायल हो गई. फौरन उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है.
उधर बच्ची की मां ज्योति पुप्पलवार ने बताया, ''मेरी बेटी घर के आंगन में खाना खा रही थी और मैं नहाने गई थी. नहाकर जैसे ही मैं बाहर निकली तो देखा कि तेंदुए मेरी बेटी को घसीटते हुए ले जा रहा है. मैंने बिना कुछ सोचे समझे उस पर डंडे से हमला कर दिया. हमले के बाद तेंदुए ने बच्ची को छोड़ दिया. लेकिन वह फिर से हमला करने की फिराक में था. मैंने उस पर लगातार डंडे से वार किए तो वह वहां से भाग गया.''
दुर्गापुर परिसर में तेंदुए के हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है. पिछले महीने ही तेंदुए के हमले से दो बुजुर्ग और दो बच्चों की जान गई है. अब तक इस परिसर में जंगली जानवरों के हमले से 15 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 6 बच्चे भी शामिल हैं. ये 16वीं घटना है, जिसमें तीन साल की बच्ची गंभीर रूप से घायल हुई है.
गुस्साए लोगों ने जब 10 वन अधिकारियों और कर्मचारियों को बंधक बनाया और तेंदुए को मारने की मांग की तो वन विभाग ने भी देर रात तेंदुए को मारने के आदेश जारी कर दिए. तब जाकर लोगों ने वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को छोड़ा. अब तेंदुए को पकड़कर मारने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
वहीं, स्थानीय नेता रामपाल सिंघ ने कहा कि तेंदुए को पकड़कर मार डालने की मांग पर इससे पहले भी कई आंदोलन किए गए. मोर्चे निकले गए. वन विभाग के ऑफिस में तोड़फोड़ भी की गई. लेकिन वन विभाग की ओर से अनदेखी की जा रही थी इसीलिए लोगों का गुस्सा फूटा और वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को बंधक बना लिया.
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