बिहार। सुप्रीम कोर्ट पटना हाईकोर्ट के जजों की याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया. पटना हाईकोर्ट के जजों ने याचिका में कहा है कि उनके सामान्य भविष्य निधि (GPF) खातों को बंद कर दिया गया. SC शुक्रवार को मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है.
दरअसल, बिहार सरकार की ओर से हाल ही में एक आदेश जारी किया गया है. इसमें पटना हाईकोर्ट के 7 जजों के जीपीएफ अकाउंट्स को बंद करने का आदेश दिया है. पटना हाई कोर्ट के जजों ने इस आदेश को चुनौती दी है. जजों की ओर से पेश वकील ने कहा कि 7 जजों के जीपीएफ अकाउंट को बंद कर दिया गया. इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा, सरकार ने हाई कोर्ट के जजों का जीपीएफ खाता बंद कर दिया है. इस आदेश के गंभीर परिणाम हुए हैं. बिहार के महालेखाकार ने जजों के जीपीएफ खातों को बंद कर दिया है. इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने हैरान होकर पूछा, क्या, जजों के जीपीएफ खातों को बंद कर दिया गया. याचिकाकर्ता कौन हैं. इसे शुक्रवार को लिस्ट किया जाता है.
जस्टिस शैलेन्द्र सिंह, जस्टिस अरुण कुमार झा, जस्टिस जितेन्द्र कुमार, जस्टिस आलोक कुमार पांडेय, जस्टिस सुनील दत्त मिश्रा, जस्टिस चन्द्रप्रकाश सिंह और जस्टिस चन्द्रशेखर झा की ओर से ये याचिका दाखिल की गई है. ये सभी जज न्यायिक सेवा कोटे से 22 जून को जज नियुक्त हुए थे. जज बनने के बाद इन सभी के GPF अकाउंट को बंद कर दिया गया. सरकार का कहना है कि इन सभी जजों के GPF अकाउंट इसलिए बंद किए गए हैं, क्योंकि न्यायिक सेवा में उनकी नियुक्ति साल 2005 के बाद हुई थी. जीपीएफ अथवा जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) भी एक तरह का प्रोविडेंट फंड होता है. हालांकि यह सिर्फ सरकारी कर्मचारी खुलवा सकते हैं. वेतनभोगियों की तरह ही सरकारी कर्मचारियों को भी इसमें अपनी सैलरी में से कुछ तय रकम जमा करनी होती है. रिटायरमेंट के बाद ये रकम कर्मचारियों को मिलती है. ये एक तरह की रिटायरमेंट प्लानिंग होती है.