हरियाणा। सूरजमुखी खरीद को लेकर शाहाबाद में दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे जाम लगाने पर किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। पहले वाटर कैनन से पानी की बौछारें छोड़ी गई, फिर बल प्रयोग किया गया। जिसके साथ ही हाईवे खाली करवा दिया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने करीब 40 किसानों को हिरासत में भी लिया है। नेशनल हाईवे जाम कर रहे किसान प्रशासन की अपील के बाद भी हाईवे खाली करने पर राजी नहीं हुए, जिसके चलते पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ दिया। इससे पहले पांच मिनट तक वाटर कैनन की बौछारें की गई।
एसडीएम कपिल शर्मा ने दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे जाम कर धरना दे रहे किसानों को देर शाम करीब सात बजकर पांच मिनट पर अपील की कि हाईवे खाली किया जाए। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि आम जन की सुविधा को देखते हुए हाईवे जाम नहीं किया जा सकता। उन्होंने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि पांच मिनट में हाईवे खाली करना होगा अन्यथा पुलिस कार्रवाई करेगी। किसान इस पर भी नहीं मानें तो सवा सात बजे पुलिस की ओर से वाटर कैनन की बौछारें छोड़ी गई, जिसके साथ ही लाठीचार्ज शुरू कर दिया गया। हालांकि इस दौरान कुछ पत्थर भी फेंके गए। लाठीचार्ज में आधा दर्जन किसान घायल बताए जा रहे हैं तो वहीं करीब 30 से ज्यादा किसानों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। फिलहाल कोई भी अधिकारी इस घटनाक्रम को लेकर बातचीत को तैयार नहीं है। वहीं किसान नेताओं से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है।
बता दें कि सूरजमुखी खरीद को लेकर मंगलवार को आखिरकार किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। भाकियू के बैनर तले हजारों किसानों ने हाईवे जाम कर दिया। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे से देर शाम तक हाईवे जाम रहा, जिससे सैकड़ों वाहन दोनों ओर फंसे रहे तो वहीं पुलिस को रूट डायवर्ट करना पड़ा। प्रदर्शनकारी किसानों का नेतृत्व कर रहे गुरनाम सिंह चढूनी ने ऐलान किया है कि उन्हें हाईवे से हटाने के लिए बल प्रयोग किया गया तो पूरे प्रदेश को बंद कर दिया जाएगा। सुबह शहीद ऊधम सिंह हाल में किसानों ने महापंचायत की और उनके बढ़ते गुस्से को देख जिला उपायुक्त शांतनु शर्मा व एसपी सुरेंद्र सिंह भौरिया भी पहुंचे और किसानों को मनाने के भरसक प्रयास किए, लेकिन किसान अपनी मांग पर अड़े रहे। हालांकि किसानों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे, लेकिन हजारों किसान शहीद ऊधम सिंह स्मारक के रास्ते शहीद को श्रद्दांजलि देने के बाद पुल की करीब 30 फीट चढ़ाई चढ़ने के बाद नेशनल हाईव पर जा पहुंचे और दोनों तरफ से जाम कर दिया।
ऐसे में किसानों को रोकने के पुलिस के सभी प्रबंध धरे के धरे रह गए। पुलिस किसानों की रणनीति समझ नहीं पाई। हालांकि डीएसपी रणधीर सिंह स्वयं आंदोलनकारी किसानों के पीछे भागते नजर आए लेकिन उससे पहले किसान अपने मिशन में कामयाब हो गये थे। बराड़ा रोड पर शहीद ऊधम सिंह हाल में किसानों की महापंचायत सुबह दस बजे शुरू हुई और गुरनाम चढूनी ने प्रशासन को 12 बजे तक का अल्टीमेटम दिया था कि अगर सरकार की तरफ से कोई साकारात्मक संदेश है तो उसे किसानों तक पहुंचाया जाए। इसी बीच गुरनाम सिंह चढूनी ने एसडीएम कपिल शर्मा व डीएसपी रणधीर सिंह के साथ बैठक भी की, लेकिन वो बेनतीजा रही। लेकिन उसके बाद करीब 12.15 बजे डीसी व एसपी किसानों के बीच पहुंचे, लेकिन जब यह दोनों अधिकारी भी किसानों को आश्वस्त नहीं कर पाए तो गुरनाम सिंह चढूनी ने सड़क जाम करने की घोषणा कर दी और किसान उसी समय हाईवे के लिए कूच कर गए।
थाना शाहाबाद के सामने नेशनल हाईवे पर किसानों के बीच बैठे गुरनाम सिंह चढूनी ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि 10 मई से मंडियों में सूरजमुखी की आवक शुरू हो गई थी। किसान पंखा आदि लगवाने के बाद फसल वापस ले जाने को मजबूर हैं जिससे व्यर्थ का आर्थिक बोझ किसानों पर पड़ रहा है। चढूनी ने कहा कि 30 मई को भावांतर योजना के तहत फसल की खरीद का पत्र सरकार की तरफ से जारी हुआ था, जो किसी भी किसान को मंजूर नहीं है और अब भी किसानों की एक ही मांग है कि उनकी फसल को एमएसपी पर खरीदा जाए। जब तक सरकार एमएसपी पर खरीद नहीं करती तो तब तक किसान सड़क नहीं छोड़ेंगे बेशक पुलिस जो चाहे कार्रवाई करे। जबरन उठाया तो पूरे प्रदेश को बंद कर दिया जाएगा। दो जून को चंडीगढ़ में शिक्षा मंत्री सहित पांच प्रशासनिक अधिकारियों के साथ किसान यूनियन के सात सदस्यों की बैठक बेनतीजा रही थी और भाकियू ने पांच जून तक का अल्टीमेटम प्रशासन को दिया था।