स्वर्गी लता मंगेशकर, केवल एक दिन गई थीं स्कूल, कई भाषाओं की जानकार, जाने कैसे याद करती थीं गानें
स्वर कोकिला लता मंगेशकर का रविवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। बीते दिनों कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
नई दिल्ली। स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का रविवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। बीते दिनों कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के जीवन की अनेक ऐसी घटनाएं हैं जो नई पीढ़ी को भविष्य में भी प्रेरणा देती रहेंगी। यह बहुत कम ही लोगों को मालूम होगा कि अपने जीवन में पढ़ने के लिए वह केवल एक दिन स्कूल गई थीं। इस बारे में भी एक दिलचस्प वाकया सामने आता है।
समाचार एजेंसी पीटीआइ ने एक किताब के हवाले से बताया है कि अपने स्कूल के पहले दिन लता मंगेशकर अपनी छोटी बहन आशा को अपने साथ ले गई थीं। बहन को साथ लाने पर शिक्षिका ने विरोध तगड़ा विरोध किया था। इस पर लता गुस्से में घर वापस लौट आई थीं और फिर कभी भी स्कूल नहीं गईं। बताया जाता है कि इस घटना के वक्त लता जी की छोटी बहन आशा जी लगभग 10 महीने की थीं।
किताब के मुताबिक बाद में लता जी ने घर पर ही परिजनों की मदद से मराठी वर्णमाला सीखी। मराठी में ही लता जी ने मूल बातें पढ़ना और लिखना सिखा। 'लता मंगेशकर... इन हर ओन वाइस' नामक किताब में लेखिका और फिल्म निर्माता नसरीन मुन्नी कबीर (Nasreen Munni Kabir) कहती हैं कि लता जी ने बताया था कि वह लगभग तीन या चार साल की रही होंगी जब उन्होंने अपने नौकर विट्ठल (जो उस समय एक किशोर था) मराठी वर्णमाला सिखाने के लिए कहा था।
नसरीन मुन्नी कबीर ने लता जी से वार्तालापों को 'लता मंगेशकर... इन हर ओन वाइस' नामक किताब में संकलित किया है। बकौल लता जी उन्होंने घर पर ही मराठी का अध्ययन किया था। हालांकि लता जी ने इससे पहले कुछ नर्सरी कक्षाओं में भाग लिया था। लता जी के मुताबिक जब शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर 'श्री गणेश जी' लिखते थे मैं इसे पूरी तरह से कॉपी करती थी। इसमें मुझे 10 में से 10 अंक मिले थे।
लता जी के मुताबिक यह तबकी घटना है जब उनकी चचेरी बहन वसंती सांगली में उनके घर के ठीक सामने एक मराठी माध्यम के स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ रही थी। कभी-कभी वह अपने चचेरी बहन के साथ जाती थीं। जब वसंती को संगीत की शिक्षा दी जाती थी तब लता मंगेशकर शिक्षिका के गायन को ध्यान से सुनती थीं।
इस किताब में लता जी ने उस वाकये का जिक्र किया है। बकौल लता जी- एक दिन जब शिक्षिका ने उनकी ओर इशारा करते हुए चचेरी बहन से पूछा कि 'वह कौन है? तब लता जी ने चहकते हुए कहा था कि मैं मास्टर दीनानाथ जी की बेटी हूं!' शिक्षिका ने कहा- 'वह इतने महान गायक हैं। क्या आप गा सकती हैं?' लता जी ने उनसे कहा कि मैं कई राग (मालकौंस, हिंडोल, आदि) गा सकती हूं। इसके बाद शिक्षिका उन्हें सीधे स्टाफ रूम में ले गईं जहां सभी शिक्षक बैठे थे। उन्होंने लता जी से गाने के लिए कहा।
लता जी के मुताबिक उन्होंने हिंडोल पर एक शास्त्रीय संगीत गाया। तब वह चार या पांच साल की रही होंगी। लता जी कहती हैं कि उसी दिन मुझे स्कूल में दाखिला लेना था तब आशा की उम्र करीब 10 महीने की रही होगी। मैंने आशा को अपनी बाहों में लिया और सीधे स्कूल चली गई। लता जी कहती हैं कि मैं अपनी गोद में बहन आशा को लेकर कक्षा में दाखिल हुई। शिक्षिका ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यहां बच्चों को लाने की अनुमति नहीं है। मैं गुस्से में थी... उठी और आशा को लेकर घर आ गई और कभी स्कूल नहीं गई।
लता जी के मुताबिक उन्होंने चचेरी बहन इंदिरा से और बाद में मुंबई के लेखराज शर्मा नाम के एक व्यक्ति से हिंदी सीखी। इसके बाद उर्दू, बंगाली और थोड़ी पंजाबी सीखी। लता जी संस्कृत भी समझ सकती थीं। लता जी ने तमिल भी सीखने की भी कोशिश की। यह पूछे जाने पर कि वह कोई गीत कैसे याद करती हैं इस पर लता जी का कहना था कि 'भले ही शब्द उर्दू या किसी अन्य भाषा में हों मैं पहले हिंदी में गीत लिखती हूं। गीत के नोट्स बनाती हूं और किस बिंदु पर... और किस शब्द पर जोर देना है उस पर फोकस करती हूं। बाद में धुन के साथ गीत के बोल को पिरो देती हूं।