पितृ पक्ष में श्राद्ध के महत्त्व को जानिए

Update: 2023-10-06 01:40 GMT

पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दौरान पितर स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार के पास जाते हैं. पितृ पक्ष में यदि श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण विधिवत किया जाए तो दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और वे सुखी संतुष्ट होकर लौट जाते हैं. पितृ पक्ष का आज आठवां दिन है, इसलिए आज अष्टमी श्राद्ध किया जाएगा. अष्टमी श्राद्ध में परिवार के उन मृत सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि पर होती है. इसे ही अष्टमी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है.

अष्टमी के श्राद्ध में आठ ब्राह्मणों को भोजन खिलाने का विधान है. इस दिन पिंडदान कर तर्पण करने के बाद श्राद्धकर्म करना चाहिए. इसके बाद पंचबलि कर्म के साथ ब्राह्मणों को भोजन कराना और उनको कच्चे अनाज का दान करना चाहिए. इस दिन कुश के आसन पर बैठ कर पिता के निमित भगवान विष्णु के गोविंद स्वरूप की पूजा करनी चाहिए और उसके बाद गीता के आठवें अध्याय का पाठ करना चाहिए.

साथ ही पितृ मंत्र का जाप कर क्षमा याचना करना चाहिए. अष्टमी के श्राद्ध भोजन में लौकी की खीर, पालक, पूड़ी, फल-मिठाई के साथ लौंग-इलायची और मिश्री जरूर शामिल करना चाहिए. उसके बाद अष्टमी पितृ मंत्र का जाप करना चाहिए- ऊं गोविंदाय नम: .मान्यता के अनुसार, अष्टमी पर श्राद्ध करने वाले श्राद्धकर्ता पर पितरों का आशीर्वाद बरसता है. श्राद्ध करने से परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है.

अष्टमी श्राद्ध मुहूर्त

कुतुप मूहूर्त - सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक

रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से 01 बजकर 20 मिनट तक

अपराह्न काल - दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से दोपहर 03 बजकर 41 मिनट तक

आगामी श्राद्ध तिथियां

07 अक्टूबर 2023, शनिवार- नवमी श्राद्ध

08 अक्टूबर 2023, रविवार- दशमी श्राद्ध

09 अक्टूबर 2023, सोमवार- एकादशी श्राद्ध

10 अक्टूबर 2023, मंगलवार- मघा श्राद्ध

11 अक्टूबर 2023, बुधवार- द्वादशी श्राद्ध

12 अक्टूबर 2023, गुरुवार- त्रयोदशी श्राद्ध

13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार- चतुर्दशी श्राद्ध

14 अक्टूबर 2023, शनिवार- सर्व पितृ अमावस्या


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