Two artificial lakes से किन्नौर को खतरा, ग्लेशियर पिघलने से मंडराया संकट

Update: 2024-06-10 10:27 GMT
Recangpio. रिकांगपिओ। किन्नौर जिला में 4300 मीटर की ऊंचाई पर काशंग सहित सांगला कंडा में दो ग्लेशियर झीलों की पहचान हुई है, जो कभी भी मानसून के दौरान संबंधित नदी-नालों में भयंकर तबाही ला सकती है। किन्नौर प्रशासन ने इन दोनों साइड की पहचान करने के बाद ऐतियात के तौर पर एनआरएससी और सी टाइप के माध्यम से एक्सपिटिशन करवाने की तैयारी शुरू कर दी है, ताकि हार स्थिति का माकूल जानकारी प्राप्त की जा सके।
डीसी किन्नौर डा. अमित कुमार शर्मा ने बताया कि किन्नौर जिला के सागंला कंडा और काशांग कंडा में ग्लेशियर पिघलने से दो कृत्रिम झील बनने की जानकारी मिली है।
जल्द ही एनआरएससी और सी टाइप के माध्यम से एक्सपीटिशन भी किया जाएगा, ताकि यह पता लगाया जाएगा कि भविष्य में यदि कृत्रिम झीलें फटती है, तो संबंधित नदी नाले वाले क्षेत्रों को नुकसान होगा या नहीं।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश स्तर पर आगामी 14 जून को होने वाले मॉक ड्रिल के दौरान किन्नौर जिला में भी आपदाओं से निपटने के लिए 14 जून को मॉक ड्रिल का आयोजित किया जाएगा। इस मॉक ड्रिल में आईटीबीपी, पुलिस व होम गार्ड जवानों सहित सभी कई अन्य विभाग भाग लेंगे।
आपको बता दें कि वर्ष 2000 सहित 2005 में तिब्बत के परछू में बनी कृत्रिम झील टूटने से सतलुज नदी में बाढ़ आ गई थी,
जिससे किन्नौर, रामपुर बुशहर सहित तत्तापानी आदि कई क्षेत्रों में भयंकर नुकसान हुआ था। उन दोनों घटनाओं में कई लोगों की जान जाने के साथ कई करोड़ो रुपए की सरकारी व गैर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। आशंका जताई जा रही है कि यदि काशांग सहित सांगला कंडे में बनी कृत्रिम झीलें टूट जाती हैं, तो भारी तबाही भी मच सकती है। ऐसे में किन्नौर प्रशासन ने प्राइमरी स्तर पर ही इन कृत्रिम झीलों की मॉनिटरिंग शुरू कर दी है, ताकि इन घटनाओं को टाला जा सके या नुकसानी के आंकड़े को कम से कम किया जा सके।
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