उधर, बवाल की जद में शामिल कुछ ऐसे परिवार हैं जिनके घर के सदस्यों को बवाल के आरोप में जेल भेज दिया गया है. अब ऐसे परिवार अपने बेटे-भाई को निर्दोष बता रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं. आजतक ने ऐसे परिवारों और ग्राहकों के लिए तरस रहे दुकानदारों से मुलाकात की और उनके दर्द को समझने की कोशिश की.
आजतक की टीम सबसे पहले जरीब चौकी पर रहने वाले 56 साल के शहंशाह के घर पहुंची. शंहशाह को पुलिस ने बवाल में शामिल रहने और पत्थरबाजी करने के आरोप में जेल भेज दिया है. शहंशाह के घर के बाहर पुलिस के दो सिपाही मोहम्मद फैसल से कुछ पूछताछ करते दिखे. इसके बाद आजतक की टीम शहंशाह के घर के अंदर पहुंची.
घर के अंदर फैसल के साथ उनकी बहन अलिसा और छोटी बेटी मायूस बैठी थी. अलिसा का दो महीने बाद निकाह होना है. शहंशाह अपनी बहन के निकाह की तैयारी में जुटे थे, लेकिन वे पत्थरबाजी के बवाल में उलझ गए. परिजन समझ नहीं पा रहे हैं कि इनका कसूर क्या है? शहंशाह के परिजन का आरोप है कि हमारे अब्बू को पुलिस 6 जून को सिर्फ पूछताछ के लिए ले गई थी. वे तीन जून को घर में थे, कहीं गए नहीं. बवाल के वीडियो में उनका कोई फुटेज नहीं है. उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है, फिर भी पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया. शहंशाह की बेटी ने कहा कि अगर अब्बू के खिलाफ कोई सबूत मिल जाए तो हम खुद उनको सजा दिलाएंगे.
शहंशाह के घर से निकलने के बाद आजतक की टीम उस सद्भावना पुलिस चौकी चौराहे पर पहुंची जहां बवाल हुआ था. यहां जनजीवन सामान्य दिखा. मार्केट की दुकानें भी खुली दिखीं. जब टीम थोड़ी दूर आगे बढ़ी तो दिखा कि सद्भावना पुलिस चौकी में पथराव करने वाले 40 पत्थरबाजों का पोस्टर लगा हुआ है. हालांकि पुलिस इनमें से सिर्फ छह आरोपियों को पकड़ पाई है. आजतक की टीम ने उन दुकानदारों का दर्द समझाना चाहा जिनकी दुकानें बवाल के बाद बंद रही और अब जब दुकानें खुली हैं तो धंधा मंदा पड़ गया है. इनमें ज्यादातर कूलर से संबंधित दुकानदार शामिल थे. इन दुकानदारों में हिन्दू-मुस्लिम दोनों शामिल हैं. उनकी दुकानों के सामने से ही पथराव शुरू हुआ था. दुकानदारों से बात करने पर एक ही बात सामने निकलकर आई कि इस सीजन में उनका धंधा चौपट हो गया. दुकानदारों ने कहा कि बवाल से हमें क्या लेना? लेकिन उसका खामियाजा तो हमें ही भुगतना पड़ा है. अब तो सीजन ही चला गया.