Kangra Tea: एपीडा के सहयोग से कांगड़ा टी को मिलेगी मार्केट

Update: 2024-08-11 11:18 GMT
Palampur. पालमपुर। प्रदेश की चाय का कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बोलबाला था, लेकिन पिछले कुछ समय में विभिन्न कारणों से कांगड़ा चाय अपनी पहचान बरकरार रखने से दूर हुई है। हालांकि कुछ चाय उत्पादकों ने चाय के क्षेत्र में अपने प्रयासों से बेहतरीन काम कर विदेशों तक अपनी मार्केट बनाई है लेकिन बहुत से चाय उत्पादक फिलवक्त प्रोत्साहन की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में पालमपुर में आयोजित टी बोर्ड ऑफ इंडिया की बैठक के बाद चाय उद्योग में निखार आने की संभावना जताई जा रही है। टी बोर्ड के सदस्यों ने क्षेत्र के चाय बागानों व टी फैक्टरी का दौरा कर चाय उत्पादकों से बात की है। जानकारी के अनुसार कांगड़ा चाय के प्रोत्साहन के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण एपीडा, जो कि एक भारतीय शीर्ष-निर्यात व्यापार संवर्धन
सक्रिय सरकारी निकाय है।

माध्यम से मार्केटिंग किए जाने पर भी चर्चा हुई है। गौर रहे कि कांगड़ा चाय अपने खास स्वाद व महक के लिए जानी जाती है। अब एपीडा का सहयोग मिलता है तो आर्थोडॉक्स आर्गेनिक टी के तौर पर कांगड़ा चाय को बड़ी मार्केट मिल सकती है। कभी प्रदेश में तीन हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में चाय का उत्पादन होता था जो कि अब कम होकर दो हजार हेक्टेयर के करीब रह गया है। 1990 से लेकर 2002 तक कांगड़ा चाय उद्योग बुलंदियों पर था और हर साल यहां पर दस लाख किलो से अधिक चाय का उत्पादन हो रहा था। चाय उत्पादकों के प्रयासों से 1998-99 में चाय उत्पादन के सभी रिकार्ड टूट गए और उस साल 17,11,242 किलो चाय का उत्पादन हुआ। विभिन्न कारणें से यह ट्ेंड जारी नहीं रह सका और पिछले कुछ सालों में तो चाय उत्पादन का आंकड़ा दस लाख किलो से कम ही रहा है। 2003 और 2004 में तो चाय का उत्पादन सात लाख किलो तक ही सिमट कर रह गया।
Tags:    

Similar News

-->