सोनिया और राहुल गांधी को नोटिस मिलने पर जेपी नड्डा का आया बयान

Update: 2022-06-01 10:19 GMT

भोपाल: नेशनल हेराल्ड केस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ईडी का नोटिस मिलने पर जेपी नड्डा ने तंज कसा है। भोपाल में एक कार्यक्रम में मौजूद जेपी नड्डा ने कांग्रेस नेताओं पर हमला बोलते हुए कहा कि कोई अपराधी यह नहीं मानता है कि उसने कोई अपराध किया है। मीडिया से बातचीत में जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस अब पार्टी ही नहीं रह गई है बल्कि भाई और बहन का दल बन गई है। उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी तो कभी भारत की धरती पर बोलते नहीं है। वो न तो इंडियन रह गए हैं, न नेशनल और न ही कांग्रेस बचे हैं। यह अब भाई-बहन की ही पार्टी रह गई है। भारत इनकी सुनता ही नहीं है तो लंदन जाकर बोलिए।'

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि उनका चेहरा खराब है और आईना साफ कर रहे हैं। जेपी नड्डा ने कहा कि जो लोग जमानत पर बाहर हैं, वे अदालत में जाकर बात करें। यही नहीं उन्होंने कहा कि कोई अपराधी कभी यह नहीं मानता कि वह अपराध में शामिल था। जेपी नड्डा ने कहा कि सजा हो जाती है और लोग 20-20 साल तक सजा हो जाती है, लेकिन वे यही कहते हैं कि हमें फंसा दिया गया है। ये लोग बेल पर हैं। आप केस हटवा लीजिए, लेकिन ऐसा वो नहीं करते हैं। इसकी वजह यह है कि कागज पक्के हैं और फंसे हुए हैं। भ्रष्टाचार का मामला है और कोर्ट उसको अच्छी तरह से देख रहा है। यदि आपके ऊपर चार्जशीट दायर होती है तो फिर आप अदालत क्यों नहीं जाते।
गांधी परिवार के दो सदस्यों को समन जारी किए जाने पर राजनीतिक पारा बढ़ गया है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने तीखा हमला करते हुए कहा कि सरकार डर गई है। उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि तानाशाह डर गया है और अपनी गलतियों को छिपाने के लिए तानाशाह छटपटा रहा है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने कहा है कि सोनिया गांधी को 8 जून को पूछताछ के लिए बुलाया गया है और वह ईडी के दफ्तर जाएंगी। वहीं सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी को भी 2 जून को बुलाया गया है, लेकिन वह विदेश में हैं। इसलिए राहुल गांधी ने पेशी के लिए और वक्त की मांग की है।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ईडी का नोटिस मिलने पर कांग्रेस ने तीखा रिएक्शन दिया है। अभिषेक मनु सिंघवी और रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर हमला बोला है। मोदी सरकार के 8 सालों में यह पहला मौका है, जब इस तरह से कांग्रेस हाईकमान को घेरा गया है। माना जा रहा है कि इससे कांग्रेस भले कानूनी विवाद में फंस जाए, लेकिन उसे राजनीतिक लाभ भी हो सकता है। इसी बहाने कांग्रेस कार्यकर्ता कुछ सक्रिय हो सकते हैं और पार्टी सड़कों पर भी उतरने का फैसला ले सकती है।
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