पत्रकारों को मिला फ्रंटलाइन वर्कर्स का दर्जा, केंद्र ने नहीं दिया जवाब, सीएम ने कर दिया ऐलान, जाने कहां?

Update: 2021-05-02 08:22 GMT

कोरोना की इस लड़ाई में फ्रंटलाइन वर्कर्स ने एक सक्रिय भूमिका निभाई है. फिर चाहे वो दिन रात काम करने वाले डॉक्टर हों या फिर सड़कों पर पहरे देने वाली पुलिसकर्मी. इसके अलावा देश के पत्रकारों ने भी मुश्किल समय में लोगों तक लगातार जरूरी जानकारी पहुंचाई है. उनकी तरफ से भी जान जोखिम में डाल रिपोर्टिंग की गई है. अब पत्रकारों के इस अच्छे काम को समझा है ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जिन्होंने ऐलान कर दिया है कि उनके राज्य में तमाम पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स का दर्जा दिया जाएगा.

जारी किए गए बयान में कहा गया है कि ओडिशा के तमाम पत्रकार फ्रंटलाइन वॉरियर हैं. उन्होंने इस कोरोना काल में बेहतरीन काम किया है, लोगों तक जरूरी खबर पहुंचाई है, कोरोना को लेकर जागरूक किया है और इस महायुद्ध में एक सक्रिय भूमिका निभाई है. ये देश का पहला राज्य है जिसने पत्रकारों को फ्रंटलाइन वॉरियर का तमगा दिया है.
जानकारी के लिए बता दें कि ओडिशा में पत्रकारों को कई तरह की सुविधा दी गई हैं. राज्य के 6,994 पत्रकारों को 2 लाख का स्वास्थ्य बीमा मिल रहा है. वहीं जिन पत्रकारों का काम करते हुए कोरोना काल में निधन हुआ है, सरकार की तरफ से उन्हें भी 15 लाख रुपये की सहायता दी गई है. राज्य में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 11 पत्रकारों ने अपनी जान गंवाई है.
वैसे सीएम की तरफ से ये ऐलान तब किया गया है, जब केंद्र ने उनकी अपील पर कोई जवाब नहीं दिया. इसी साल मार्च में नवीन पटनायक की तरफ से केंद्र को अपील की गई थी कि देश के तमाम पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स का दर्जा दिया जाए, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. ऐसे में सीएम ने अपने राज्य में ही पत्रकारों को ये सम्मान देने का फैसला ले लिया.
ओडिशा में लॉकडाउन
बता दें कि ओडिशा में कोरोना की स्थिति विस्फोटक बनी हुई है. राज्य में बढ़ते मामलों के बीच 14 दिन का लॉकडाउन लगा दिया गया है. लोगों पर तमाम तरह की पाबंदियां लग गई हैं और सिर्फ जरूरी सेवाओं को मंजूरी मिली है. पिछले 24 घंटे में राज्य में 8 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए हैं, वहीं 14 लोगों ने जान भी गवा दी है.


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