पत्रकारिता जन समस्याओं के समाधान का सर्वोत्तम माध्यम-विधायक लक्ष्मण मीणा
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जयपुर। पत्रकारिता जन समस्याओं के समाधान का सर्वोत्तम माध्यम है। यह बात बस्सी विधायक लक्ष्मण मीणा ने रविवार को जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) जयपुर जिले की बस्सी इकाई द्वारा जयपुर संभाग स्तरीय पत्रकार अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए कही। कानोता में स्थित आनंद इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में पत्रकारों पर हमले के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन राजस्थान इस मामले में अभी सुरक्षित है, वे पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग करेंगे। बस्सी विधायक ने बस्सी इकाई कार्यकारिणी के लिए आवास योजना और कार्यालय के लिए भूमि आवंटन पर सहमति जताते हुए कहा कि हम भी सरकार की तरह गारंटी देते हैं कि हम रिपीट होते हैं तो हमारा पहला कार्य पत्रकारों के हितों के लिए आवास योजना और भूमि आवंटन का होगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य राकेश शर्मा ने कहा कि पत्रकारों को वर्तमान में कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, ऐसे में सरकार को ग्रामीण पत्रकारों की सुध लेते हुए पत्रकार आवास योजना, अधिस्वीकृत पत्रकार जैसी सुविधा लागू करनी चाहिए। राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य ने बस्सी विधायक को बस्सी कार्यकारिणी के लिए पत्रकार आवास योजना और कार्यालय के लिए भूमि आवंटन का मांग पत्र भी सौंपा। अधिवेशन में अतिथि एनयूजेआई के राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य व जार के पूर्व प्रदेश महासचिव संजय सैनी, बस्सी प्रधान इंदिरा देवी शर्मा, प्रदेश महासचिव भाग सिंह, वरिष्ठ लेखक जितेंद्र शर्मा, जयपुर जिला अध्यक्ष जगदीश शर्मा, संरक्षक रामजीलाल शर्मा, जार की प्रदेश उपाध्यक्ष मणिमाला शर्मा, प्रदेश सचिव दीपशिखा शर्मा, सुरेश शर्मा, प्रवीण शर्मा, कुलदीप शर्मा, गिरिराज तिवाड़ी आदि ने भी विचार रखे। सभी जार पदाधिकारियों ने तहसील स्तर पर पत्रकार आवास योजना को लाने के लिए संकल्प दोहराया।
अधिवेशन को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं व्यंग्य लेखक जितेंद्र शर्मा ने कहा कि खबरों की आपाधापी में एडिटिंग कमजोर होती जा रही है। शब्द में थोड़ा सा अंतर अर्थ का अनर्थ कर देता है। पत्रकारिता का एकमात्र औजार शब्द है। यह औजार ही भौंथरा हो जाएगा तो पत्रकारिता सफल नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति आम होने लगी है कि शब्दों के अंग्रेजी रूपों को प्रचलित बनाया जा रहा है। कितनी बड़ी विडंबना है कि कोरोना महामारी के दौरान अधिकतर अखबार लॉकडाउन का हिंदी शब्द रूप नही बना पाए। एकमात्र जनसत्ता अखबार ने इसके लिए ''घरबंदी'' शब्द का सार्थक प्रयोग किया है। आज सूचनात्मक खबरों की कोई कमी नहीं है और इनको प्रकाशित करने वाले माध्यमों की भी उपलब्धता है, लेकिन खबर के बाद होने वाला असर और खोजी पत्रकारिता गायब है। अधिवेशन में जयपुर की 19 विधानसभा क्षेत्र समेत दौसा, टोंक, सवाई माधोपुर, सीकर, भरतपुर, झुंझुनू से 150 से अधिक पत्रकारों का माला पहनाकर, स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया गया।