उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ते ही सचेत हुई JDU, नीतीश के बयान पर नेताओं का 'यू टर्न'

Update: 2023-02-21 07:00 GMT

फाइल फोटो

पटना (आईएएनएस)| बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ने के बाद सचेत नजर आने लगी है। कल तक जो जदयू के नेता नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने को लेकर नारा लगा रहे थे, वे नेता अब फिर से बिहार में नेतृत्व को लेकर बयान दे रहे हैं।
दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर कई बार राजद के नेता तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाने या 2025 में महागठबंधन का नेतृत्व करने का बयान दे चुके हैं।
कुशवाहा ने इन्हीं बयानों को हथियार बनाते हुए पार्टी नेतृत्व और नीतीश कुमार पर सियासी हमला बोलते हुए पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाकर राह जुदा कर ली।
कहा जा रहा है कि कुशवाहा के पार्टी छोड़ने के बाद जदयू को यह डर सताने लगा है कि कुछ और नेता इसी मामले को लेकर बगावत न कर दें। इसी को लेकर पटना से लेकर दिल्ली तक जदयू के नेताओं ने मोर्चा संभाला और नीतीश के बयान को सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन इशारों ही इशारों में पलटी मारते नजर आए।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सोमवार को पटना में कहा कि हमने कब कहा कि तेजस्वी यादव 2025 में सीएम के उम्मीदवार होंगे? 2025 में सीएम कौन होगा यह उस समय तय होगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल सीएम नीतीश कुमार हैं। अभी उससे पहले 2024 का चुनाव है।
इधर, दिल्ली में पार्टी के जदयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि 2025 का विधानसभा चुनाव तो नजदीक है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2030 के चुनाव का भी नेतृत्व करने में समर्थ हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के जाने का जदयू पर कोई असर नहीं पड़ेगा। नीतीश कुमार का राजनीतिक ग्राफ बढ़ा हुआ है।
वैसे, इस मामले पर राजद के नेता अभी खुलकर बयान नहीं दे रहे हैं, लेकिन इतना जरूर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इतर जदयू के नेताओं के ऐसे बयानों के बाद राजद में असमंजस की स्थिति बन गई है। राजद ऐसी स्थिति में कुछ बोल नहीं पा रही है।
इधर, कुशवाहा के अलग पार्टी बनाने के बाद तय है कि वे जदयू पर हमलावर होंगे और उसका जवाब देना जदयू के लिए आसान नहीं होगा। कुशवाहा ने सोमवार को नीतीश कुमार पर पार्टी को राजद के पास गिरवी रखने का बयान देकर इसके संकेत दे दिए हैं कि जदयू से उनके द्वारा पूछे गए सवाल आसान नहीं होंगे।
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