Jalore सरकार ने 20 से ज्यादा राज्यों में स्कूल बैग का बोझ हल्का किया

Update: 2024-08-16 12:09 GMT
Jalore. जालोर। जालोर शिक्षा बोझ नहीं है। इस विचार के साथ जालोर के एक सरकारी टीचर ने एजुकेशन के क्षेत्र में 40 से ज्यादा नवाचार किए। उन्होंने स्कूली शिक्षा को रोचक बनाया। सप्ताह में एक दिन बच्चों को बिना बैग के स्कूल बुलाने का विचार दिया और केंद्र सरकार ने 20 से अधिक राज्यों में नो बैग डे लागू किया। ये टीचर हैं संदीप जोशी।शिक्षक संदीप जोशी ने बताया- बैग फ्री शनिवार भी टीचिंग के लिए ही है। शिक्षा बहुआयामी है। यह किताबों से ही नहीं आती। कई सबक बिना किताबों के सीखे जा सकते हैं, ऐसे में नो बैग डे शनिवार को रखने का विचार सरकार ने माना।अब सप्ताह में एक दिन शनिवार को विद्यार्थी बिना बस्ते के बिना स्कूल आते हैं। उनकी प्रतिभा का विकास होता है। वे संगीत-कला, पर्यावरण के बारे में सीखते हैं, खुद करते हैं और कुछ
नया और प्रैक्टीकल सीखते हैं।

टीचर संदीप जोशी ने बताया- मैंने 2005 में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया। काम के दौरान बहुत सारी समस्याएं आती थी। केंद्रीय विद्यालयों में 5 डे वीक चलता था। कर्मचारियों को शनिवार रविवार को काम से मुक्ति मिलती थी। तब सोचा कि बच्चे क्यों सप्ताह के सभी 6 दिन सिर्फ किताबें ही पढ़ें और भारी बैग उठाकर स्कूल जाएं।बच्चों को एक दिन तो बिन बस्ते, बिना होमवर्क, बिना क्लास के पढ़ाई करने को मिले। जिसमें उन्हें आनंद आए। शिक्षा विभाग ने भी माना इससे शिक्षा आनंददायी होगी। चिंतामुक्त होगी। बच्चे की लर्निंग कैपेसिटी बढ़ेगी।मैंने नो बैग डे के लिए एक सिलेबस तैयार कर 2008-09 शिक्षा आयोग व सरकार के सामने रखा। कई पत्र पत्रिकाओं में लेख लिखे व सेमिनार अटेंड की। 2017 में नई दिल्ली में एनसीईआरटी, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग, महिला व बाल अधिकारिता मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय वर्कशॉप रखी गई थी। इसमें देशभर के शिक्षाविदों को बुलाया। मुझे भी बुलाया गया। यहां मैंने 2 सुझाव रखे।पहला- मासिक पाठ्य पुस्तक वाला और दूसरा- नो बैग डे शनिवार। सभी को सुझाव पसंद आए। इसके बाद 2017 में ही नवंबर-दिसंबर में शिक्षा विभाग ने इसे लागू कर दिया। आज राजस्थान सहित 20 से ज्यादा राज्यों में शनिवार को बच्चे बिना बैग स्कूल जाते हैं।
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