विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन को दो टूक, चीन के रवैये से तय होगी आगे की दिशा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत व चीन के रिश्तों की दिशा की शर्तें तय कर दी हैं।

Update: 2021-05-20 17:29 GMT

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कुछ इलाकों में चीनी सैनिकों की बढ़ती गतिविधियों की खबरें आने के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत व चीन के रिश्तों की दिशा की शर्तें तय कर दी हैं। जयशंकर ने दो टूक कहा है कि जब तक एलएसी पर तनाव रहेगा, तब तक चीन के साथ दूसरे क्षेत्रों में रिश्तों को सामान्य नहीं बनाया जा सकता। इसके साथ ही जयशंकर ने वर्ष 1988 में पूर्व पीएम राजीव गांधी की बीजिंग यात्रा के दौरान सीमा पर शांति बनाए रखने को लेकर किए गए समझौते को तोड़ने का आरोप भी चीन पर लगाया है।

जयशंकर ने कहा- दोनों देशों के रिश्ते दोराहे पर, आगे की दिशा चीन के रवैये से तय होगी
कहा है कि दोनों देशों के रिश्ते अभी दोराहे पर हैं और आगे की दिशा चीन के रवैये से ही तय होगी। जयशंकर ने एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया हाउस की तरफ से आयोजित परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए ना सिर्फ चीन के साथ भारत के रिश्ते, बल्कि कोविड की वजह से बदलते वैश्विक समीकरण पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
जयशंकर ने कहा- चीन ने एलएसी पर शांति बनाए रखने के समझौते को तोड़ा है
जयशंकर ने कहा कि वर्ष 1962 के युद्ध के बाद किसी भारतीय पीएम को चीन की यात्रा पर जाने में 26 वर्ष लग गया था। वर्ष 1988 में पीएम राजीव गांधी ने वहां की यात्रा की और दोनों देशों के बीच सीमा पर अमन-शांति कायम करने को लेकर एक सहमति बनी। लगभग 30 साल तक इस सहमति पर काम किया गया, लेकिन पिछले वर्ष की घटना से साफ है कि चीन अब उससे विमुख हो गया है। पिछले साल सीमा पर जो कुछ हुआ उसके बाद हम दूसरे क्षेत्रों में सहयोग की नीति को आगे नहीं बढ़ा सकते।
जयशंकर ने कहा- आगे की दिशा चीन के रवैये से तय होगी
जयशंकर ने कहा कि हम आगे किस दिशा में जाएंगे, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि चीन अमन-शांति को लेकर बनी सहमति पर कितना आगे बढ़ता है। इस सहमति को दोनों देशों ने कई दशकों तक माना है। जयशंकर ने यह भी स्पष्ट करने में कोई पर्दादारी नहीं की कि भारत की तरफ से चीन के साथ आर्थिक रिश्तों से पीछे हटने को लेकर जो कदम उठाया गया है, उसे आगे पड़ोसी देश के रुख को देखकर निर्धारित किया जाएगा।
चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद से आपसी रिश्तों में तनाव
भारत और चीन के रिश्तों में मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद से काफी तनाव आ चुका है। दोनों देशों के सैनिकों के बाच हिंसक झड़पें भी हो चुकी हैं, जिसमें दोनों तरफ से जवानों की जानें गई हैं। भारत चीन की कंपनियों को अपने बाजार से बाहर करने को लेकर कई कदम उठा चुका है।
सैनिकों की वापसी पर पूरी तरह अमल नहीं कर रहा चीन
तनाव खत्म करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं और विदेश मंत्रालय के स्तर पर लगातार वार्ता का दौर चल रहा है। दिसंबर, 2020 में दोनों देशों के बीच सैनिकों की वापसी को लेकर सहमति बनी थी, लेकिन अब सूचना है कि चीन इसे पूरी तरह से अमल नहीं कर रहा है। ऐसे परिदृश्य में विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान काफी महत्व रखता है।
चीन में मानवाधिकार हनन पर नहीं दिया जवाब
इसी परिचर्चा में चीन के कुछ प्रांतों में मानवाधिकार के हनन के मुद्दे पर कई देशों की तरफ से भ‌र्त्सना किए जाने के मुद्दे पर जब पूछा गया तो जयशंकर ने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि चीन के साथ भारत के रिश्तों के कई दूसरे आयाम हैं जिन पर अभी वह फोकस कर रहे हैं।


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