नई दिल्ली: वीर सावरकर को लेकर देश की राजनीति फिर गरमा गई है. एक तरफ बीजेपी सावरकर को महान क्रांतिकारी के तौर पर देखती है तो दूसरी तरफ कांग्रेस दावा करती है कि सावरकर ने अंग्रेजों के सामने हार मान ली थी, उनसे माफी मांगी गई थी. अब इन्हीं आरोप-प्रत्यारोप के बीच कांग्रेस की तरफ से बीजेपी के सामने एक शर्त रख दी गई है. शर्त ये है कि अगर बीजेपी के नेता उनके नेताओं पर टिप्पणी नहीं करेंगे तो उनकी तरफ से उनके नेताओं की सच्चाई दुनिया के सामने नहीं बताई जाएगी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि सावरकर चैप्टर अब बंद हो गया है. मैं साफ करना चाहता हूं कि बीजेपी और संघ के लोग हमारे नेताओं को लेकर झूठ फैलाना बंद कर दें. हम भी उनके नेताओं की सच्चाई सभी के सामने नहीं बताएंगे. अब यहां पर जयराम रमेश ने ये स्पष्ट नहीं किया कि वे किन नेताओं की बात कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी के पुराने हमलों को ध्यान में रखा जाए तो साफ समझा जा सकता है कि यहां बात जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी जैसे नेताओं की हो रही है.
वैसे सावरकर विवाद का आगाज कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान से शुरू हुआ था. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने वीर सावरकर को लेकर कई तरह के दावे कर दिए थे. उन्होंने कहा था कि सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी. मैं बहुत क्लियर हूं. इस देश में एक ओर सावरकर और दूसरी ओर गांधी के विचारों की लड़ाई है. मेरी राय है कि सावरकर ने डर की वजह से चिट्ठी पर साइन किया तो वहीं नेहरू, पटेल गांधी सालों जेल में रहे, कोई चिट्ठी साइन नहीं की. सावरकर के चिट्ठी पर साइन करना हिंदुस्तान के सभी नेताओं के साथ धोखा था.
राहुल के इस बयान ने ही राजनीतिक गलियारे में भूचाल ला दिया था और बीजेपी तुरंत हमलावर हो गई. बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने भी दो टूक कह दिया था कि वे राहुल गांधी के इस कथन से सहमत नहीं हैं. उद्धव ने कहा था कि हम वीर सावरकर पर राहुल गांधी के बयान का समर्थन नहीं करते हैं. हमारे दिल में वीर सावरकर के लिए आदर और सम्मान है. उनके योगदान को कोई नहीं मिटा सकता है. मुझे तो हंसी आती है जब बीजेपी और संघ सावरकर की बात करते हैं, भारत को आजाद करवाने में इनका कोई योगदान नहीं था. उन्हें सावरकर के बारे में बोलने का कोई हक नहीं है.