पारसनाथ पहाड़ी को 'पर्यटन स्थल' का दर्जा दिए जाने का जैन समाज ने किया विरोध

Update: 2022-12-14 04:14 GMT

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रांची (आईएएनएस)| झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित करने के सरकार के कदम का देशभर में जैन समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं। पिछले एक हफ्ते में दर्जन भर शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और कई जैन मुनियों ने सरकार से अपने फैसले को वापस लेने की मांग की है। पारसनाथ हिल, जिसे सम्मेद शिखर के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर में जैनियों के बीच सबसे बड़ा तीर्थस्थल है। जैनियों के 24 में से 20 तीथर्ंकरों की 'निर्वाण' (मोक्ष) भूमि होने के कारण यह उनके लिए पूजनीय क्षेत्र है।
जैन समाज का कहना है कि अगर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया तो इस पूजा स्थल की पवित्रता भंग हो जाएगी। वहां मांसाहार और शराब सेवन जैसी अनैतिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे 'अहिंसक' जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
गौरतलब है कि पारसनाथ झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है, जो वन क्षेत्र से घिरी हुई है। पहाड़ी की तलहटी में दर्जनों जैन मंदिर हैं। 2 अगस्त, 2019 को झारखंड सरकार द्वारा की गई सिफारिश के बाद केंद्रीय वन मंत्रालय ने पारसनाथ के एक हिस्से को वन्यजीव अभयारण्य और पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया है।
जैन समाज का कहना है कि क्षेत्र में ईको-टूरिज्म और अन्य गैर-धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देना गलत है।
जैन समुदाय के लोगों ने देश के कई हिस्सों में रैलियां निकालकर उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है, जिसमें सरकार ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया है।
विश्व जैन संगठन के आह्वान पर मंगलवार को मध्यप्रदेश के धार शहर में मौन मार्च निकाला गया.
दिगंबर और श्वेतांबर जैन समुदाय के लोगों ने रविवार को इंदौर में विशाल रैली की। इसी तरह का प्रदर्शन कटनी, खंडवा, बांसवाड़ा, धार, अजमेर, डूंगरपुर में देखा गया।
महायोगी श्रमण श्री 108 विहर्ष सागर जी गुरुदेव ने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कहा, श्री सम्मेद शिखरजी जैनियों के सनातन पवित्र क्षेत्र हैं और आज पूरा समाज इसकी रक्षा और सुरक्षा के लिए एकजुट है।
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