ISRO साइंटिस्ट का दावा: प्रमोशन इंटरव्यू के समय नाश्ते में मिला था जहर...फेसबुक पोस्ट कर किया बड़ा खुलासा

Update: 2021-01-05 16:52 GMT

इसरो के बड़े वैज्ञानिक और अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने दावा किया है कि उन्हें जहर दिया गया था. यह जहर उन्हें प्रमोशन इंटरव्यू के समय दिए गए नाश्ते में मिलाकर दिया गया था. जिसकी वजह से उन्हें 30 से 40 फीसदी ब्लड लॉस हुआ था. उन्हें एनल ब्लीडिंग हो रही थी. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची थी. तपन मिश्रा ने अपने साथ हुई इस घटना को फेसबुक पर पोस्ट किया है.

तपन मिश्रा ने आजतक से बात करते हुए अपने फेसबुक पोस्ट की पुष्टि करते हुए बताया कि घर पर जो आर्सेनिक देते हैं, वो ऑर्गेनिक होता है. जो जहर उन्हें दिया गया था वो एक इनरवेरिक ऑर्सेनिक है. यह पानी में नहीं घुलता. यह एक तरह का क्रिस्टल होता है. इसकी वजह से मॉलीक्यूलर एक्सपेंशन होता है. यह बेहद दुर्लभ होता है. इसका 1 ग्राम काफी होता है, किसी इंसान को मारने के लिए. मुझे शक है कि मुझे जहर दिया गया था. मैं चाहता हूं कि इसकी जांच की जाए. मैंने किसी को शिकायत नहीं की है. मैं किसी से मिल नहीं सकता. 

आजतक से बात करते हुए तपन ने कहा कि मुझे लगातार दो साल इलाज करना पड़ा. इसलिए किसी से इस बारे में बात नहीं की. इस घटना के बाद मैं अकेला जीवित व्यक्ति हूं. क्योंकि इस जहर के लेने के बाद कोई नहीं बचता. मैं जनवरी में रिटायर हो रहा हूं. इसलिए किसी ने ध्यान नहीं दिया. मेरा जीवन खतरे में है. मैं लोगों को इसके बारे में बताना चाहता हूं. मैं सिर्फ अपने सर्वाइवल के लिए ऐसा करता रहा. मैं चाहता हूं कि लोगों को इस बारे में पता चले कि अगर मैं मर जाऊं तो मेरे साथ क्या-क्या हुआ था.

तपन मिश्रा ने फेसबुक पर लिखा है कि इसरो में हमें कभी-कभी बड़े वैज्ञानिकों के संदिग्ध मौत की खबर मिलती रही है. साल 1971 में प्रोफेसर विक्रम साराभाई की मौत संदिग्ध थी. उसके बाद 1999 में VSSC के निदेशक डॉक्टर एस श्रीनिवासन की मौत पर भी सवाल उठे थे. इतना ही नहीं 1994 में श्री नांबीनारायण का केस भी सबके सामने आया था. लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन मैं इस रहस्य का हिस्सा बनूंगा.

तपन मिश्रा ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि 23 मई 2017 को उन्हें जानलेवा आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड (Arsenic Trioxide) दिया गया था. यह उन्हें उनके प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान इसरो हेडक्वार्टर बेंगलुरु में चटनी और दोसाई में मिलाकर दिया गया था. जिसे उन्होंने लंच के कुछ देर बाद हुए नाश्ते में खाया था. इसके बाद से वे पिछले दो साल से लगातार बुरी हालत में हैं. इंटरव्यू के बाद वो बड़ी मुश्किल से बेंगलुरु से अहमदाबाद वापस आए थे. तपन मिश्रा Sci/Eng SF ग्रेड से SG ग्रेड के लिए इंटरव्यू देने गए थे.

अहमदाबाद लौटने के बाद तपन मिश्रा को एनल ब्लीडिंग हो रही थी. इसकी वजह से उनके शरीर से 30 से 40 फीसदी ब्लड लॉस हुआ था. तपन मिश्रा को अहमदाबाद के जाइडल कैडिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी. त्वचा निकल रही थी. हाथों और पैर की उंगलियों से नाखून उखड़ने लगे थे. न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे हापोक्सिया, हड्डियों में दर्द, सेंसेशन, एक बार हल्का दिल का दौरा, आर्सेनिक डिपोजिशन और शरीर के बाहरी और अंदरूनी अंगों पर फंगल इंफेक्शन हो रहा था.  तपन मिश्रा ने अपना इलाज जाइडस कैडिला, टाटा मेमोरियल अस्पताल मुबंई और एम्स दिल्ली में करवाया. इस इलाज में उन्हें करीब दो साल का समय लग गया. तपन मिश्रा ने पोस्ट में लिखा है कि देश के प्रसिद्ध फोरेंसिक स्पेश्लिस्ट डॉ सुधीर गुप्ता ने उन्हें बताया कि उन्होंने अपने जीवन में जहर के जीवित स्पेसीमेन को पहली बार देखा है. ये जहर मॉलीक्यूलर ग्रेड As203 स्तर का है. 

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