भारत के दुश्मन सावधान! समुद्र की 'साइलेंट किलर' INS वेला भारतीय नौसेना में शामिल
मुंबई: INS वेला, चौथी स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी, मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह की उपस्थिति में नौसेना में शामिल हुई.
INS वेला में हैं 360 बैटरी सेल्स
आईएनएस वेला में दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन लगाए गए हैं. इसमें 360 बैटरी सेल्स हैं. प्रत्येक का वजन 750 किलोग्राम के करीब है. इन्हीं बैटरियों के दम पर आईएनएस वेला 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय कर सकती है. यह सफर 45-50 दिनों का हो सकता है. ये सबमरीन 350 मीटर तक की गहराई में भी जाकर दुश्मन का पता लगा सकती है.
आईएनएस वेला की टॉप स्पीड की बात करे तो यह 22 नोट्स है. इसमें पीछे की ओर फ्रांस से ली गई तकनीकी वाली मैग्नेटिस्ड प्रोपल्शन मोटर है. इसकी आवाज सबमरीन से बाहर नहीं जाती है. इसीलिए, आईएनएस वेला सबमरीन को साइलेंट किलर भी कहा जा सकता है. इसके भीतर एडवांस वेपन हैं जो युद्ध जैसे समय में आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकते हैं.
दुश्मन को खत्म करने के लिए हथियार
आईएनएस वेला के ऊपर लगाए गए हथियारों की बात करें तो इसपर 6 टोरपीडो ट्यूब्स बनाई गई हैं, जिनसे टोरपीडोस को फायर किया जाता है. इसमें एक वक्त में अधिकतम 18 तोरपीडोस आ सकते है या फिर एन्टी शिप मिसाइल SM39 को भी ले जाया जा सकता है. इसके जरिए माइंस भी बिछाई जा सकती हैं.
सबमरीन में लगे हथियार और सेंसर हाई टेक्नोलॉजी कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े हैं. यह सभी अन्य नौसेना के युद्धपोत से संचार कर सकती है. बता दें कि इससे पहले स्कॉर्पियन क्लास की छह पनडुब्बियों में से भारत को तीन पनडुब्बी आईएनएस कलवारी, खांडेरी और करंज पहले ही मिल चुकी हैं.
स्वदेशी पनडुब्बी है INS वेला
गौरतलब है कि भारत सरकार ने 2005 में फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप (पहले डीसीएनएस) के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत करार किया था. इस सौदे की कीमत 3.5 बिलियन यूएस डॉलर थी. इसी सौदे का पालन करते हुए INS वेला को भारत में तैयार किया गया है, यह एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत तैयार की गई है.