भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद का बयान: भारत को करनी चाहिए पुतिन की निंदा, चीनी आक्रमण के समय हमने साथ दिया

Update: 2022-03-28 11:15 GMT

नई दिल्ली: अमेरिका हमेशा से भारत इस पर इस बात का दबाव बनाता रहा है कि वह रूस की आलोचना करे. यूक्रेन युद्ध के बाद से अमेरिका को उम्मीद थी कि अंतरराष्ट्रीय मंचों में भारत रूस के खिलाफ रहेगा. लेकिन भारत ने इस मामले में अभी तक सधा हुआ रुख अपनाया है. भारत ने रूस को सीधे कुछ बोलने के बजाए शांति की अपील की है.

इसी बीच भारतीय मूल के एक अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने कहा कहना है कि भारत को अब अवश्य ही यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा करनी चाहिए. अमेरिकी सांसद ने ये भी कहा है कि भारत को रूस या चीन से तेल भी नहीं खरीदना चाहिए. उनका कहना है कि अब समय आ गया है कि भारत निर्णय कर ले कि वो किस पाले में रहना चाहता है.
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में सिलिकन वैली का प्रतिनिधित्व करने वाले रो खन्ना रूस पर भारत की वर्तमान नीति की हमेशा से आलोचना करते रहे हैं.
फॉक्स न्यूज से एक इंटरव्यू के दौरान सख्त लहजे में उन्होंने कहा, 'मैं भारत को लेकर स्पष्ट हूं और मुझे लगता है कि भारत को पुतिन की निंदा करनी चाहिए. भारत को रूस या चीन से तेल नहीं लेना चाहिए. हमें पुतिन को अलग-थलग करने के लिए दुनिया को एकजुट करना चाहिए.'
खन्ना हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में भारत-अमेरिका कॉकस के उपाध्यक्ष भी हैं. ये कॉकस भारत-अमेरिका रिश्तों को लेकर नीति निर्धारण में मदद करता है. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा, 'सबसे पहले तो भारत को संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए पुतिन की निंदा करनी चाहिए. और दूसरी बात कि भारत को अब ये चुन लेना चाहिए कि वो किस पाले में है.'
चीन का जिक्र कर उन्होंने कहा, 'जब चीन ने भारत पर आक्रमकता दिखाई तब हम...अमेरिका उनके साथ खड़ा था. पुतिन वहां नहीं थे. ये समय भारत के लिए अमेरिका से हथियार खरीदने का है, रूस से नहीं. हमें ये देखना होगा कि इस प्रक्रिया को कैसे आसान बनाया जा सकता है. हमें चीन को नियंत्रित करने के लिए एक सहयोगी के रूप में भारत की जरूरत है.'
हाल के दिनों में अमेरिका के कई शीर्ष सांसदों ने यूक्रेन संकट पर भारत की स्थिति पर भारी रोष जताया है. इसमें सांसद जॉन कॉर्निन और भारतीय अमेरिकी कांग्रेसी डॉ अमी बेरा भी शामिल हैं.
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अब तक अपना निष्पक्ष और स्वतंत्र रुख बरकरार रखा है. भारत संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा से जुड़े सभी प्रस्तावों से अब तक दूर ही रहा है. भारत ने हालांकि ये जरूर कहा है कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए. भारत लगातार कहता रहा है कि दोनों देशों के बीच मतभेद को कूटनीति के माध्यम से दूर किया जाना चाहिए.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं से कई बार बात की है. दोनों पक्षों से भारतीय प्रधानमंत्री ने तत्काल युद्धविराम की अपील की है और कहा है कि दोनों पक्षों को कूटनीतिक बातचीत कर शांतिपूर्ण समाधान तक पहुंचने की जरूरत है.
भारत ने युद्धग्रस्त यूक्रेन को मानवीय मदद भी पहुंचाई है. इस मदद में यूक्रेन और उसके आसपास के देशों में दवाइयां, मेडिकल इक्वीपमेंट्स, टेंट्स, पानी जमा करने के लिए टैंक, सोलर लैंप आदि सामान भेजा जा रहा है. 
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