National News: चीन के खिलाफ भारत उतारेगा 'ब्रम्‍हास्‍त्र

Update: 2024-07-05 03:48 GMT

National Newsराष्ट्रीय समाचार: चीन भारत के लिए हमेशा सिरदर्द बना हुआ है। 2020 में, गरीबी उन्मूलन के लिए भारत ने सीमा पर अत्याचार करने वाले हथियारों को शामिल करने के लिए मजबूर किया है। इसल ट्राए अब भारत अपनी सेना के ल ट्राए अमर ट्राएकी स्ट्राइकर आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल लेने की कोश ट्राएश में है। एक ओर यह ब्रम्हास्त्र समझौता दे रहे हैं और कहा जा रहा है कि इसे हर प्रकार के खर्च में लागू किया जा सकता है। अगर ये सेना मिल गई तो पूर्वी क्षेत्र और सीमांचल जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारतीय सेना की ताकत में काफी बढ़ोतरी होगी। भारतीय सेना अपने आधुनिकीकरणModernization के दौर से गुजर रही है। पुराने सैन्य साजोसामान को नए और आधुनिक उपकरणों से बदलने की प्रक्रिया जारी है।

भारत आत्मान टायरभर बनना चाहता है और वह भी देसी हथियारों के दम पर। पहले ज़्यादा ध्यान पश्चिमी सीमा पर केंद्रित था लेकिन अब चीन उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र पर खासा ध्यान दे रहा है। 2020 में पूर्वी भारत में चीनी हिमपात को बेहतर तरीके से जवाब दिया गया। टैंक, ऑर्टिलरी गन, इंफेंट्री व्हीकल, रडार सिस्टम, मिसाइल सिस्टम जैसे बड़े भारी भरकम कदमों को कम समय पर पहुंचा कर चीनी पीएलए को बैंकफुट पर डाल दिया और अब अधिकतम से अधिकतम ऐसे इक्विपमेंट को शामिल करने की दर बढ़ा दी है, जो प्लेन क्षेत्रों में तेजी से फैल रही है। रेगिस्तान और उच्च ऊंचाई के क्षेत्रों में बेहतरीन तरीके से अपने काम को अंजाम दे सके।

भारतीय सेना के मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में 2000 के करीब रूसी आईसीवी बीएमपी-2 मौजूद हैं। इनमें दो तरह के इन्फैंट्री कांबैट व्हीकल हैं। एक ट्रैक्ड यानी टायर टैंक की तरह ट्रैक पर चलने वाले, तो दूसरे व्हील्ड यानी टायरों वाले।सूत्रों के अनुसार, अमेरिकाAmerica की जो कंपनी आईसीवी स्ट्राइकर का निर्माण करती है, वह भारतीय सेना को आईसीवी वितरक के रूप में स्थापित करती है। बताया गया है कि यह भी जा रहा है कि बातचीत अंत में चरण में है। वैसे तो आईसीवी स्ट्राइकर अमेरिका सहित कई अन्य देशों की सेनाओं का इस्तेमाल कर रही हैं लेकिन हर देश अपनी चादर के मिसल से ही हथियार और उपकरण बरामद करता है।

भारत भी उसी पैटर्न पर खरीद कर रहा है. इसके लिए नो कॉस्ट नो कमिटमेंट नीति के तहत परीक्षण भी सेना को मज़बूर करता है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में स्ट्राइकर भी ट्रायल में हड़ताल के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि चीनी पीएलए से निपटने के लिए भविष्य में अमेरिकी स्ट्राइकर की एंट्री हो सकती है। अगर स्ट्राइकर की खास बात करें तो ये 8 व्हील ड्राइव कांबैट वहीकल है। इसमें 30 एमएम गन और 105 मोबाइल गन लगे हैं। इसकी रेंज 483 किलोमीटर है और 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। सैनिकों की सुरक्षा के लिए बोल्ट ऑन सेरेमिक आर्मर्ड प्रोटेक्शन से लैस है। ये आसानी से दुश्मन के एरियल अटैक, लैंडलाइन और आईडी से बचाव कर सकता है। खास बात यह है कि इसे चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए आसानी से उच्च अल्टीट्यूड क्षेत्र में पहुंचाया जा सकता है। 

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