भारत-चीन सीमा विवाद: लंबे समय चली 12वें दौर की कोर कमांडर स्तरीय वार्ता, तनाव घटाने पर हुई बात
भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए शनिवार को सैन्य और राजनयिक स्तर की 12वें दौर की वार्ता हुई।
भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए शनिवार को सैन्य और राजनयिक स्तर की 12वें दौर की वार्ता हुई। जानकारी के अनुसार, यह वार्ता करीब नौ घंटे तक चली। इसमें दोनों ही पक्षों ने तनाव घटाने को लेकर बातचीत की।
यह वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के हिस्से वाले ओल्डी नामक स्थान पर हुई। इससे पहले सूत्रों ने बताया था कि इस वार्ता में भारत और चीन के बीच हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा हाइट्स एरिया से डिसइंगेजमेंट पर चर्चा होने की उम्मीद है। भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि वार्ता शनिवार सुबह 10.30 बजे शुरू हुई, जो कि करीब शाम साढ़े सात बजे तक चली।
इससे पहले दोनों देशों के बीच 11वें दौर की वार्ता नौ अप्रैल को एलएसी के भारतीय पक्ष में आने वाले चुशुल में हुई थी। उल्लेखनीय है कि दोनों देश पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने-अपने सैनिकों और हथियारों को हटाने की प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं। लेकिन, टकराव वाली बाकी जगहों पर अभी सैनिकों को वापस ले जाने की शुरुआत अभी तक नहीं हो पाई है। दोनों के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों को लेकर सैन्य गतिरोध की स्थिति बनी हुई है।
इससे पहले 14 जुलाई को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। उस वक्त दुशांबे में शंघाई सहयोग सम्मेलन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर हुई इस मुलाकात में एलएसी को लेकर चल रहे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। जयशंकर ने कहा था कि स्थिति में एकतरफा परिवर्तन किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा था कि सीमा क्षेत्रों में हमारे संबंधों के विकास के लिए शांति और व्यवस्था की पूरी तरह वापसी बहुत जरूरी है।