भारत की दो टूक, WHO द्वारा कोरोना मृतकों के आंकलन के तरीके पर उठाया सवाल
नई दिल्ली: भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से कोरोना से होने वाली मौतों के आकलन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मेथोडोलॉजी पर आपत्ति जताई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश के लिए भौगोलिक व जनसंख्या के लिहाज से छोटी आबादी वाले अन्य देशों के लिए कोविड मृत्यु दर की गणना में एक ही गणितीय मॉडल का इस्तेमाल नहीं हो सकता है।
यह बयान न्यूयॉर्क टाइम्स के उस लेख के जवाब में था, जिसका टाइटल था... 'इंडिया इज स्टालिंग WHO's एफर्ट्स टू मेक ग्लोबल COVID डेथ टोल पब्लिक'। रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने 2021 के अंत तक कोरोना संबंधित करीब 1.5 मिलियन मौतों का अनुमान लगाया है। यह संख्या आधिकारिक आंकड़ों के दोगुने से भी अधिक है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि WHO के अनुमान से पता चलेगा कि भारत में मरने वालों की संख्या कम से कम 4 मिलियन है, जो आधिकारिक संख्या का लगभग आठ गुना है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "इस चौंका देने वाले अनुमान को जारी करने में भारत की आपत्तियों के कारण महीनों की देरी हुई है, जो इस गणना पर सवाल उठाता है कि कोरोना उसके कितने नागरिक मारे गए। साथ ही रिपोर्ट को सार्वजनिक होने से रोकने की कोशिश की गई।"
स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि भारत की मूल आपत्ति नतीजे (जो कुछ भी हो सकता है) के साथ नहीं है, बल्कि उसके लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली को लेकर है। भारत इस मुद्दे पर डब्ल्यूएचओ के साथ नियमित तौर पर तकनीकी आदान-प्रदान कर रहा है। छह लेटर्स और वर्चुअल बैठकों सहित औपचारिक संचार की श्रृंखला के माध्यम से कार्यप्रणाली के बारे में अपनी चिंताओं को साझा किया है।"
मंत्रालय के अनुसार भारत, चीन, बांग्लादेश, ईरान और सीरिया जैसे अन्य सदस्य देशों ने डेटा के अनौपचारिक सेट की कार्यप्रणाली और उपयोग पर सवाल उठाए हैं। मंत्रालय ने कहा कि चिंता इसे लेकर है कि सांख्यिकीय मॉडल भारत जैसे बड़े भौगोलिक आकार और जनसंख्या वाले देश के लिए कैसे अनुमान लगाती है जो अन्य देशों के साथ भी फिट बैठती है, जिनकी आबादी कम है।"