पुल गिरने के मामले में आरोपी को भेजा गया न्यायिक हिरासत में

Update: 2023-01-31 11:34 GMT
मोरबी: गुजरात के मोरबी शहर में पिछले साल अक्टूबर में एक झूला पुल गिरने के मामले में आरोपी ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल ने चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में सरेंडर किया था. अब जयसुख पटेल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. दरअसल, 2022 के मोरबी सस्पेंशन ब्रिज ढहने के मामले में 1,262 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई. इस घटना ने 134 लोगों की जान ले ली थी. चार्जशीट में आरोपी के तौर पर ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल का नाम शामिल किया गया है.
आपको बता दें कि बीती शुक्रवार को पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था. पीड़ितों की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता दिलीप आगेचनिया ने कहा कि आरोप पत्र में 9 गिरफ्तार किए जा चुके हैं. आरोपियों के अलावा ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल का नाम 10वें आरोपी के तौर पर शामिल किया गया. एक मजिस्ट्रेट अदालत पहले ही पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुकी थी. मोरबी में मच्छू नदी पर बने ब्रिटिश काल के इस झूला पुल के संचालन और रख-रखाव की जिम्मेदारी अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) की थी. यह पुल मरम्मत के कुछ दिन बाद ही पिछले साल 30 अक्टूबर को गिर गया था.
पुलिस उपाधीक्षक पी एस जाला ने मोरबी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान की अदालत में 1,200 से अधिक पन्नों का आरोप पत्र दायर किया. जाला मामले के जांच अधिकारी हैं. आगेचनिया ने कहा था कि ओरेवा समूह के जयसुख पटेल को शुक्रवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर आरोप पत्र में दसवें आरोपी के तौर पर दर्शाया गया, जिनका नाम पुलिस ने प्राथमिकी में शुरुआत में नहीं दर्ज किया था. 1,200 से अधिक पन्नों के आरोप पत्र में 300 से अधिक गवाहों के बयान हैं. पुल हादसे के एक दिन बाद 31 अक्टूबर को मोरबी पुलिस ने ओरेवा समूह के दो प्रबंधकों, दो टिकट लिपिकों समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया था.
पटेल सहित सभी दस आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 336 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाला कार्य), 337 (उतावलापन या लापरवाही वाला कृत्य करके किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाना) और 338 (उतावलेपन या लापरवाही से कार्य करके गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
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