शिमला। प्रदेश में सूखे की स्थिति के मद्देनजर जलशक्ति विभाग ने जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अहम कदम उठाए हैं। इसके तहत वर्ष 2024-25 के दौरान धर्मशाला और नूरपुर के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में 14 हैंडपंप सक्रिय किए हैं। वहीं जहां पेयजल आपूर्ति का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं हैं। वहां टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। शिमला, कुल्लू और कांगड़ा जिलों में पानी के लिए टैंकर तैनात किए जा रहे हैं। विभाग ने कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों से कम वर्षा और कम हिमपात के कारण प्रदेश लगातार सूखे का सामना कर रहा है। इसके कारण गर्मियों के दिनों में जलस्रोतों का स्तर भी कम हो रहा है। स्रोत रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं। इसी वर्ष मई के तीसरे सप्ताह से ही सूखे की स्थिति शुरू हो गई थी। इसके कारण 3933 बस्तियों को आपूर्ति करने वाली 1315 योजनाएं और लगभग 4 लाख 56 हजार की आबादी प्रभावित हुई है।
वहीं 15 जून तक की चरम अवधि के दौरान 6537 बस्तियों को जलापूर्ति करने वाली 1797 योजनाएं और 8 लाख 88 हजार की आबादी प्रभावित हुई हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने राज्य व जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों को नामित किया है जो सूखे की स्थिति उत्पन्न होने की सूरत में जिला प्रशासन से तालमेल करेंगे और स्थिति की निगरानी करेंगे। इस दौरान आपात स्थिति को छोडक़र सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टी पर प्रतिबंध लगा दिया है। विभाग ने स्थिति में सुधार आने तक पानी के नए कनेक्शन पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। मौजूदा जालापूर्ति योजनाओं से निर्माण कार्य भी प्रतिबंधित कर दिए गए हैं उल्लंघर करने पर कनेक्शन काटने का भी प्रावधान किया गया है। मौजूदा जालापूर्ति योजनाओं से निर्माण कार्य करने पर कनेक्शन काटने का भी प्रावधान किया गया है।