आईआईटी बॉम्बे और दिल्ली रोजगार देने, पर्यावरण और जागरूकता फैलाने में सबसे आगे

Update: 2022-10-27 08:18 GMT

दिल्ली:  आईआईटी बॉम्बे को रोजगार देने, सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर काम करने और पर्यावरण क्षेत्र में बेहतरीन काम के कारण क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सस्टेनेबिलिटी रैंकिंग- 2023 में भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की सूची में पहला रैंक मिला है। जबकि आईआईटी दिल्ली को भी रोजगार और पर्यावरण क्षेत्र में छात्रों में जागरूकता फैलाने के लिए दूसरा रैंक, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को लैंगिक समानता और समाज की अन्य असमानताओं को दूर करने के कारण तीसरा स्थान मिला है। वहीं, डीयू को देश समेत विदेशी संस्थानों के साथ शोध क्षेत्र में सहयोग, समाज को शोध के माध्यम से शिक्षित करने को लेकर अकादमिक फ्रीडम के चलते चौथा स्थान मिला है। खास बात यह है कि इस रैंकिंग में भारत के 15 उच्च शिक्षण संस्थानों को जगह मिली है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सस्टेनेबिलिटी रैंकिंग 2023 बुधवार को लंदन में जारी की गयी। इस रैंकिंग में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी को पहला, टोरेंटो यूनिवर्सिटी को दूसरा, ब्रिटिश कोलबिंया यूनिवर्सिटी को तीसरा स्थान मिला है। आईआईटी बॉम्बे को 281- 300 के बीच पर्यावरण, रोजगार और सामाजिक सरोकार में बेहतरीन काम के कारण यह रैंक मिला है।

आईआईटी बॉम्बे ने शिक्षा के सतत प्रयासों के लिए पर्यावरण के प्रति छात्रों में बेहतर समझ विकसित करने का काम किया है। इस कारण उसे सबसे अधिक रैंक मिला है। इसके अलावा दुनिया के 100 रोजगार देने के मामले में भी शीर्ष 100 में जगह बनाई है। वहीं, आईआईटी दिल्ली को भी रोजगार, पर्यावरण के प्रति छात्रों में जागरूकता फैलाने के चलते 321-340 रैंक मिला है। आईआईटी दिल्ली को क्यूएस इंटिकेटर में ऐसे संस्थान के वर्ग में सबसे अधिक स्कोर मिला है, जिसने पर्यावरण के प्रति सबसे अधिक छात्रों को जागरूक किया हो। रोजगार के क्षेत्र में पूर्व छात्रों के सहयोग से रोजगार की दर सबसे अधिक है। दिल्ली विश्वविद्यालय को इस रैंकिंग में 381-400 की सूची में जगह मिली है। इसके अलावा आईआईटी कानपुर और आईआईटी रुड़की को 451-500 रैंक, अलीगढ़ मुस्लिम विवि, जादवपुर यूनि., वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को 501-550 रैंक, आईआईएसी बेंगलुरु, आईआईटी खड़गुपर को 551-600 रैंक, बीएचयू, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिल्लानी , आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी मद्रास को 600 से अधिक रैंक में जगह मिली है।

इस रैंकिंग में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली को समानता के चलते नंबर वन का खिताब मिला है। जेएनयू लैंगिक समानता और समाज की विभिन्न असमानताओं को दूर करने पर काम कर रहा है। इसीलिए जेएनयू को इस रैंकिंग में 361- 400 रैंक मिला है। आईआईटी खड्गपुर-को 551-600 के बीच जगह मिली है। संस्थान को रिसर्च के सतत प्रयास में सबसे अधिक स्कोर मिला है। यूएन ने सतत विकास के लिए जो मानक निर्धारित किए है, उन क्षेत्रों में आईआईटी खड़गपुर ने रिसर्च में बढ़ावा दिया है। यहां क्वालिटी ऑफ लाइफ, रिसर्च के क्षेत्र में माहौल, स्वास्थ्य सुविधाओं का भी ध्यान रखा जाता है। वायु गुणवत्ता बेहद अच्छी होने के चलते पैरामीटर में अच्छा स्कोर मिला है। इस रैंकिंग के माध्यम से यह जानना था कि उच्च शिक्षण संस्थान पर्यावरण और सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर किस प्रकार काम और योगदान दे रहे हैं? इसी के आधार पर क्यूएस ने नए मानक बनाए थे। इसमें दुनियाभर से 13 हजार उच्च शिक्षण संस्थानों का अध्ययन करने के बाद 700 उच्च शिक्षण संस्थानों को रैंकिंग के लिए चयनित किया गया। इसके लिए दुनियाभर से शिक्षक, छात्र, शिक्षाविदों को शामिल किया गया था। अमेरिका की 135 यूनिवर्सिटीज को रैंकिंग में स्थान मिला है। इस रैंकिंग में कुल यूूनिवर्सिटीज का 19.2 फीसदी हिस्सा यूएस यूनिवर्सिटीज को मिला है। इनमें से 30 यूनिवर्सिटी टॉप 100 में हैं। दूसरे नंबर पर ब्रिटेन की कुल 67 यूनिवर्सिटीज हैं। इनमें से 20 टॉप 100 की सूची में शामिल हैं। इसके बाद जर्मनी, चीन और आस्ट्रेलिया की शामिल हैं।

क्यूएस रैंकिंग के मैनेजर डॉ. एंड्रयू मैक फार्लाने का कहना है कि रैंकिंग यह दर्शाती है कि यह विश्वविद्यालय समाज के लिए काम करने को प्रतिबद्ध हैं। यह अलग सोच के साथ काम कर रहे हैं। वैश्विक महामारी के बाद भी इन उच्च शिक्षण संस्थानों ने समाज के लिए अलग हटकर काम किया।शोध कार्य चल रहे हैं, पूर्व छात्र रिसर्च के लिए पैसा समेत अन्य मदद करते हैं। इससे यह उम्मीद है कि इनके कारण वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।

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