शिमला। राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल में पिछले चार दिन से सरकारी लैब बायोकेमिस्ट्री की मुख्य मशीनें खराब हैं। अस्पताल में चार दिन से भी अधिक समय से मशीन के खराब होने के बाद इसे दुरुस्त करने को लेकर प्रबंधन सख्त कदम नहीं उठा पाया है। मशीनों के खराब होने के कारण मरीजों को निजी लैब का रूख करना पड़ रहा है। क्रसना लैब की बात करें तो यहां पर भी भारी संख्या में टेस्ट करवाने मरीज पहुंच तो रहे हैं, लेकिन समय पर मरीजों को रिपोर्ट नहीं मिल रही है। इसका कारण यह है कि लैब में अत्याधिक रिपोर्ट बनाने के चलते थोड़ा समय लग रहा है। ऐसे में दूरदराज से आए मरीजों को अपने उपचार के लिए दो से तीन दिन भी लग रहे हैं। शुक्रवार को भी आईजीएमसी की बायोकैमिस्ट्री लैब की मशीनें खराब ही रही। इसके कारण निजी लैब में मरीजों की कतारें लगी रहीं। वहीं, समय पर मरीजों को उपचार ही नहीं मिल रहा है।
आईजीएमसी की बायोकेमिस्ट्री लैब में रोजाना लिवर, किडनी समेत अन्य रूटीन टेस्ट किए जाते हैं, लेकिन अब मशीन के खराब होने के बाद उसे दुरुस्त नहीं करवाया है। अस्पताल प्रशासन कर्मचारियों का कहना है कि मशीन को ठीक करने के लिए इंजीनियर बुलाया है, लेकिन वह भी नहीं आ रहा है। इस वजह से मशीन को ठीक होने में देरी हो रही है। इसके विपरीत अस्पताल प्रबंधन ने निजी क्रसना लैब में सैंपल लेने की सुविधा दी है, लेकिन अब मरीजों को दूसरे दिन रिपोर्ट मिलने के कारण दिक्कतें पेश आ रही हैं। मरीजों का स्वास्थ्य सुधारने की जगह और अधिक बिगडऩे लगेगा। अस्पताल में रोजाना औसतन 3500 से अधिक मरीज विभिन्न ओपीडी में उपचार करवाने के लिए आते हैं। अस्पताल के न्यू ओपीडी ब्लॉक में सरकारी लैब में रूटीन के कई टेस्टों को छोडक़र बाकी सब टेस्टों के सैंपल लिए जा रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या कम है। दूसरी ओर निजी क्रसना लैब शाम पांच बजे तक मरीजों के सैंपल ओपीडी में ले रही है, जिसके कारण मरीजों को समय पर उपचार ही नहीं मिल रहा है।