WhatsApp पर डेटा लीक होने का डर है तो ऐप को डिलीट कर दीजिये : हाई कोर्ट

अदालन ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आपको लगता है कि वॉट्सऐप आपके डेटा से खिलवाड़ करेगी तो उसे डिलीट कर दीजिए।

Update: 2021-01-18 09:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | WhatsApp privacy policy issue: दिल्‍ली हाई कोर्ट ने कहा क‍ि केवल वॉट्सऐप ही नहीं, सारे प्‍लेटफॉर्म्‍स यूजर का बिहेवियर एनालिस‍िस करते हैं। अदालन ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आपको लगता है कि वॉट्सऐप आपके डेटा से खिलवाड़ करेगी तो उसे डिलीट कर दीजिए।

वॉट्सऐप की नई प्रिवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता एडवोकेट मनोहर लाल ने कहा कि उन्‍होंने इस बारे में केंद्र सरकार को लिखा है मगर कोई जवाब नहीं मिला। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस संबंध में कोई कानून होना चाहिए। जब अदालत ने पूछा कि कौन सा डेटा खतरे में है तो लाल ने कहा कि 'सबकुछ'। जब लाल ने कहा कि वॉट्सऐप उनके व्‍यवहार का एनालिसिस करती है तो जस्टिस संजीव सचदेवा की बेंच ने कहा कि सभी प्‍लेटफॉर्म्‍स ऐसा करते हैं। उन्‍होंने याचिकाकर्ता से कहा कि 'मैं आपकी परेशानी समझ नहीं पा रहा हूं। अगर आपको लगता है कि वॉट्सऐप आपका डेटा सुरक्षित नहीं रखेगी तो उसे डिलीट कर दीजिए।'
अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्‍या आप गूगल मैप्‍स इस्‍तेमाल करते हैं? जब हां में जवाब मिला तो अदालत ने कहा कि गूगल मैप्‍स भी डेटा शेयर करता है। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्‍बल वॉट्सऐप की तरफ से और मुकुल रोहतगी फेसबुक की तरफ से पेश हुए। रोहतगी ने कहा क‍ि प्राइवेट चैट्स पूरी तरह एनक्रिप्‍टेड होती हैं, जो बदलाव हुए हैं वह बिजनस वॉट्सऐप के लिए हुए हैं।
मुझे नहीं लगता आपने पॉलिसी पढ़ी है: जज
रोहतगी ने कहा कि दोस्‍तों, रिश्‍तेदार और बाकी निजी चैट्स पूरी तरह एनक्रिप्‍टेड होती हैं। इसपर जज ने कहा कि उन्‍होंने पढ़ा कि पॉलिसी लागू होने को टाल दिया गया है। फिर सिब्‍बल ने कहा कि अगर यूजर्स नहीं चाहते तो उन्‍हें बिजनस अकाउंट्स को मैसेज करने की जरूरत नहीं है। इसके बाद अदालत ने सुनवाई को 25 जनवरी तक टाल दिया। साथ ही याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अदालत को नहीं लगता कि वे जिन ऐप्‍स का यूज करते हैं, उसके प्रयोग की शर्तें पढ़ चुके हैं।


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