केंद्र सरकार बातचीत की मेज पर नहीं आती तो, जारी रहेगा विरोध : कांग्रेस नेता राकेश टिकैत

Update: 2021-11-28 14:56 GMT

मुंबई के आजाद मैदान में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा और महाराष्ट्र के किसान संघों की महापंचायत में आए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने तीखे तेवर दिखाए. उन्होंने एमएसपी (MSP) पर सरकार को दिमाग ठीक करने और बातचीत की मेज पर आने की चेतावनी दी. टिकैत यहीं नहीं रुके, उन्होंने वॉर्निंग के लहजे में कहा कि 26 जनवरी ज्यादा दूर नहीं है, हजारों ट्रैक्टर दिल्ली की ओर आने का इंतजार कर रहे हैं.

किसानों का धरना कब समाप्त होने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि जब तक सरकार बातचीत की मेज पर नहीं आती, तब तक किसानों का प्रदर्शन खत्म नहीं होने वाला. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि हम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले कानून समेत छह मांगों पर सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए कह रहे हैं. सभा के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आजाद मैदान किसानों के विरोध प्रदर्शन का ऐतिहासिक स्थल रहा है. मैं पालघर गया था, जहां आदिवासियों का शोषण किया जा रहा है, उनकी जमीन छीनी जा रही है.

हमें खालिस्तानी जैसे नामों से पुकारा - किसान आंदोलन पर उन्होंने कहा कि सरकार हमें खालिस्तानी और नक्सलियों जैसे नामों से बुलाती रही है. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को आतंकवादी कहा जाता था, लेकिन हम एकजुट रहे. बीता साल आसान नहीं था. इसे सफल बनाने का श्रेय शहीद हुए किसानों को जाता है.

कृषि कानूनों का खात्मा मुद्दों का अंत नहीं - टिकैत ने कहा कि सरकार अलग-अलग साजिशें कर रही है. कृषि कानूनों को वापस लेना किसानों के मुद्दों का अंत नहीं है. सरकार एमएसपी लागू करने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि कॉरपोरेट्स ने खाद्यान्न स्टोर करने और सस्ती दरों पर खाद्यान्न खरीदने के लिए बड़े गोदाम खरीद रखे हैं.

हमारी बैठक रोकोगे तो हम आपकी बैठक रोक देंगे - राकेश टिकैत ने कहा कि मुझसे पूछा जाता है कि आप महाराष्ट्र और यूपी क्यों जा रहे हैं. लेकिन मैं बता दूं कि ये भारत है, कोरिया नहीं है कि हमें परमिट लेना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर आप हमारी बैठक रोकने की कोशिश करेंगे, तो हम आपकी बैठक रोक देंगे. हम एक मेज पर बातचीत करना चाहते हैं, हम कोई भीख नहीं मांग रहे हैं. टिकैत ने कहा महाराष्ट्र में एसटी कर्मचारियों का विरोध हो रहा है. महाराष्ट्र सरकार को निजीकरण की ओर नहीं जाना चाहिए.

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