गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने अध्यक्ष पद की दौड़ से खुद को अलग कर लिया है। गुजरात कांग्रेस के प्रभारी की नियुक्ति के बाद प्रदेश अध्यक्ष व नेता विपक्ष के पद के लिए पार्टी में मंथन चल रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया पूर्व केंद्रीय मंत्री नारण राठवा सहित प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल का नाम भी बतौर अध्यक्ष चर्चा में शामिल था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक के बाद गुजरात कांग्रेस के प्रभारी डॉ रघु शर्मा मंगलवार को अहमदाबाद आएंगे तथा यहां से वे सीधे मेहसाणा के बेचराजी में चल रहे सेवा दल के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में शामिल होंगे।
शिविर में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के भी आने की चर्चाएं थी लेकिन सुरक्षा कारणों से उनका यह दौरा टल गया। इसी बीच नए प्रदेश अध्यक्ष में नेता विपक्ष के लिए नेताओं के चयन की प्रक्रिया की जा रही है प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने एक सार्वजनिक पत्र जारी करते हुए कहा है कि उन्हें किसी पद की इच्छा नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने बहुत कम उम्र में उन्हें बहुत कुछ दे दिया है इसलिए प्रदेश अध्यक्ष जैसे पद की उन्हें इच्छा नहीं रह गयी है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ दर्ज हुए आपराधिक मुकदमा को याद करते हुए हार्दिक ने राज्य सरकार पर भी परोक्ष हमला करते हुए कहा कि उन पर अभी कई केस चल रहे हैं जिसके कारण उनकी व्यस्तता रहती है।
हार्दिक ने आगे कहा है कि कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष जो भी नेता बनेगा चाहे वह किसी भी जाति समुदाय से जुड़ा हो वे उसके साथ पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्य करते रहेंगे। हार्दिक ने नए अध्यक्ष के चुनाव से पहले सीधे तौर पर खुद को अध्यक्ष पद की दावेदारी से अलग कर लिया है अब यह माना जा रहा है कि गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गैर पाटीदार हो सकता है। यह पहला मौका नहीं है जब हार्दिक ने सार्वजनिक पत्र लिखकर अपनी स्थिति साफ की हो। इससे पहले भी वह कई बार इस तरह के पत्र लिख चुके हैं। गत दिनों राज्य में एक बार फिर पाटीदार आरक्षण आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच उन्होंने पत्र लिखते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने पाटीदार समाज एवं आरक्षण आंदोलन से जुड़े युवाओं से किया गया वादा पूरा नहीं किया। पाटीदारों के खिलाफ आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज पुलिस केस वापस लेने पर सरकार से सहमति बनी थी, अभी भी गुजरात में पाटीदार युवकों के खिलाफ साढ़े तीन सौ से अधिक मामले दर्ज हैं।