HRTC: एचआरटीसी में 3350 बसें, 12 हजार कर्मी

Update: 2024-10-03 10:23 GMT
Shimla. शिमला। एचआरटीसी की स्थापना के 50 साल पूरे होने पर प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान परिवहन कर्मचारियों ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया। इस अवसर पर परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के सचिव खेमेंद्र गुप्ता ने बताया कि एचआरटीसी की शुरुआत 1949 में गवर्नमेंट ट्रांसपोर्ट से हुई थी और दो अक्तूबर, 1974 को इस ट्रांसपोर्ट का विलय एचआरटीसी में हो गया। उस समय निगम में 3500 कर्मचारी और 733 बसें थी, जबकि मौजूदा समय में एचआरटीसी के बेड़े में 3350 बसें और 12 हजार कर्मचारी हैं। प्रदेश भर में छह हजार रूटों पर ये बसें दौड़ रही हैं, जबकि इतने बस रूट बढऩे के बावजूद कर्मचारियों की बड़ी कमी खल रही है। गौरतलब है कि जिस समय परिवहन निगम की संरचना तैयार की गई थी। उस समय एक बस पर छह कर्मचारियों को तय किया गया था। इस हिसाब से मौजूदा समय में 20 हजार 100 कर्मचारियों की
जरूरत है।


इनमें चालक, परिचालक सहित मैकेनिकल स्टाफ और अन्य कर्मचारी शामिल हैं और इस समय 8000 कर्मचारियों की कमी खल रही है। खेमेंद्र गुप्ता ने बताया कि परिवहन निगम की बसों के माध्यम से स्कूली छात्रों को नि:शुल्क उनके संस्थान तक, गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीजों को नि:शुल्क और महिलाओं को 50 प्रतिशत छूट के साथ लगभग 27 अलग-अलग श्रेणियों के यात्रियों को नि:शुल्क और रियायती यात्रा उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि लेह से दिल्ली तक देश के सबसे लंबे एवं ऊंचाई वाले रूट पर बसें चलाने की उपलब्धि भी हिमाचल पथ परिवहन निगम के पास है। शिमला, मनाली, धर्मशाला सहित अनेक क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक बसों को सरकार ने हिमाचल पथ परिवहन निगम के बेड़े में शामिल कर लिया है। आगे के लिए योजना है कि पुरानी बसों को हटाकर इलेक्ट्रिक बसों को बेड़े में शामिल कर पर्यावरण को स्वच्छ और यात्रा को सुरक्षित एवं आनंददायक बनाया जाए। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के पिता ने हिमाचल पथ परिवहन निगम में सेवाएं प्रदान की हैं। देश की पुलिस सेवा आईपीएस के रूप में निगम के ही कर्मचारी की बेटी शालिनी अग्निहोत्री अपनी सेवाएं दे रही हैं।
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