Rampur. रामपुर। सोमवार का दिन देव परंपरा और हिमाचली संस्कृति के संगम का दिन रहा। मां रेणुकाजी और ऐतिहासिक लवी मेले का आगाज प्रदेश की दो बड़ी हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। मां रेणुकाजी के महोत्सव का शुभारंभ मां रेणुकाजी और भगवान परशुराम के दिव्य मिलन के साथ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के भगवान परशुराम जी की पालकी को कंधा देने के साथ ही हो गया, जबकि दूसरी तरफ रामपुर का ऐतिहासिक मेला राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और उनकी धर्मपत्नी जानकी शुक्ल की उपस्थिति के साथ सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब बन गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भगवान परशुराम की पालकी को कांधा देकर मां-बेटे के मिलन के प्रतीक श्रीरेणुकाजी अंतरराष्ट्रीय मेले का शुभारंभ करते हुए पालकियों को श्रीरेणुकाजी के लिए रवाना किया। प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी महोत्सव सारे ब्रह्मांड को गौरवान्वित करता है। इतनी बड़ी देव परंपरा और दो देवताओं के मिलन का गवाह बनना उनके लिए भी गर्व का क्षण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेले और त्योहार प्रदेश की समृद्ध संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। इस प्रकार के आयोजन स्थानीय लोगों को अपनी विशिष्ट लोक कला, संगीत, नृत्य और रीति-रिवाजों की अभिव्यक्ति का मंच प्रदान करते हैं और भावी पीढ़ी प्रदेश की संस्कृति से रू-ब-रू होती है।
उन्होंने कहा कि राज्य में मेले और त्योहार पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र होते हैं और देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटक इनमें भाग लेते हैं। पिछले वर्ष वह अस्वस्थ होने के कारण मेले में शामिल नहीं हो पाए थे, लेकिन इस वर्ष पहली बार मेले में आकर उन्हें अत्यधिक प्रसन्नता हुई है। उन्होंने कहा कि मेले और उत्सव हमें धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरणा देते हैं। मुख्यमंत्री ने भगवान परशुराम और माता रेणुकाजी के मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेश में शांति व समृद्धि की कामना की। उन्होंने मेले में विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई विकासात्मक प्रदर्शनियों का भी शुभारंंभ किया। इस अवसर पर लगभग 300 महिलाओं द्वारा महानाटी भी प्रस्तुत की गई। उधर, राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने जिला शिमला के रामपुर बुशहर में चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय लवी मेले का शुभारंभ किया। इस अवसर पर लेडी गवर्नर जानकी शुक्ल भी उपस्थित थीं। इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि सदियों से लवी मेले ने व्यापारिक मेले के रूप में अपनी पहचान कायम की है और वर्तमान में प्रदेश के सांस्कृतिक उत्सव के रूप में उभर रहा है। यह मेला प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करता है और हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। प्रतिवर्ष रामपुर में लोग व्यापारिक गतिविधियों में भाग लेने के साथ-साथ परंपरा, एकता और सौहार्द की भावना को सुदृढ़ करते हैं। राज्यपाल ने कहा कि इस मेले का अपना ऐतिहासिक महत्त्व है और यह व्यापारिक गतिविधियों के साथ-साथ अपनी समृद्ध परंपराओं के लिए भी प्रसिद्ध है।