HP: रोबोटों ने जानवरों से सीखी घर लौटने की तकनीक

Update: 2024-08-27 09:58 GMT
Market. मंडी। चरागाहों में चरने के बाद भी अपने आप घर लौटने वाले जानवरों की कला पर आईआईटी मंडी ने एक विशेष शोध किया है। इस शोध से निकले निष्कर्ष के जरिए आने वाले समय में स्वचालित वाहनों में नेविगेशन तकनीकों को और मजबूत व एडवांस बनाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही रेस्क्यू और सर्च आपरेशन जैसे अभियानों में भी यह शोध महत्त्वपूर्ण होगा। आईआईटी मंडी ने इस शोध में छोटे प्रोग्राम योग्य रोबोटों का उपयोग करते हुए नियंत्रित वातावरण में होमिंग व्यवहार की जटिलताओं का पता लगाया है। उल्लेखनीय है कि कई जानवरों के लिए प्रवास या चरागाह जैसी गतिविधियों के बाद घर लौटने की क्षमता महत्त्वपूर्ण होती है। उदाहरण के लिए होमिंग कबूतर अपनी असाधारण नेविगेशन कौशल के कारण लंबी दूरी तक संदेश पहुंचाने के लिए प्रसिद्ध हैं। इसी तरह समुद्री कछुए, सामन और मोनार्क तितलियां अपने जन्मस्थान पर लौटने के लिए लंबी यात्राएं करते हैं। प्रकृति में आम तौर पर देखा जाने वाला यह होमिंग व्यवहार लंबे समय से वैज्ञानिकों को आकर्षित करता रहा है। विभिन्न प्रजातियां होमिंग प्राप्त करने के लिए विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करती हैं। कुछ पथ एकीकरण पर भरोसा करते हैं। यात्रा की गई दूरी और दिशा के आधार पर अपनी वापसी की गणना करते हैं, जबकि अन्य गंध, स्थलचिन्ह, तारों की स्थिति या पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र जैसे पर्यावरणीय संकेतों पर निर्भर करते हैं। इन विविध विधियों के बावजूद, होमिंग आमतौर पर एक अत्यंत कुशल प्रक्रिया होती है। हालांकि जानवरों के नेविगेशन पर शोर के प्रभाव का
अध्ययन अभी जारी है।
शोध दल ने जानवरों के व्यवहार की नकल करने के लिए डिजाइन किए गए छोटे रोबोटों का उपयोग करके इन पैटर्नों की जांच की। लगभग 7.5 सेंटीमीटर व्यास के ये रोबोट वस्तुओं और प्रकाश का पता लगाने के लिए सेंसर से लैस हैं, जिससे वे सबसे चमकीले प्रकाश स्रोत द्वारा चिह्नित घर का पता लगा सकते हैं। रोबोट स्वतंत्र रूप से नियंत्रित पहियों का उपयोग करके नेविगेट करते हैं और प्रकाश की तीव्रता के आधार पर अपने पथ को कुछ जानवरों के समान समायोजित करते हैं। शोधकर्ता ने पाया कि थोड़ा सा रैंडमनेस होने से होमिंग की अवधि पर कोई असर नहीं पड़ता है। कम्प्यूटर सिमुलेशन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कभी कभार रीसेट करने से जहां रोबोट सीधे घर की ओर पुन: उन्मुख होते हैं, बल्कि अपने पथ को ठीक करने की क्षमता भी बढ़ाते हैं। आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ फि जिकल साइंसेज के सहायक प्रोफेसर डा. हर्ष सोनी ने इस शोध के व्यापक प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ये निष्कर्ष स्वचालित वाहनों के लिए बेहतर नेविगेशन सिस्टम के विकास और खोज एवं बचाव मिशनों में सुधार के लिए उपयोगी हो सकते हैं। इसके अलावा यह अध्ययन कोशिकीय गतिशीलता में मूल्यवान दृष्टिकोण प्रदान करता है, जहां समान प्रक्रियाएं हो सकती हैं। अध्ययन के निष्कर्षों को जर्नल पीआरएक्स लाइफ में प्रकाशित किया गया है। अनुसंधान के सैद्धांतिक और संख्यात्मक पहलुओं का संचालन आईआईटी मंडी के डा. हर्ष सोनी के साथ द इंस्टीच्यूट ऑफ मैथमैटिकल साइंसेज चेन्नई के डा. अर्नब पाल और अरूप विश्वास ने किया है। इसके साथ ही प्रायोगिक कार्य का नेतृत्व आईआईटी बांबे के डा. नितिन और सोमनाथ परमानिच ने किया है।
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