HP: लाल कर रहा नाम रोशन, सरकार नौकरी तक नहीं दे पाई

Update: 2024-09-03 10:54 GMT
Gaggeret. गगरेट। पेरिस पैरा ओलंपिक में रजत पदक जीतकर प्रदेश के युवाओं के लिए खेलों के माध्यम से कामयाबी का नया रास्ता दिखाने वाले हिमाचल प्रदेश के एकमात्र पैरा एथलीट बेशक अपनी मेहनत के दम पर देश को गौरवान्वित कर रहे हैं लेकिन उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा खास अधिमान न देने की टीस उनके परिजनों के दिल में उथल-पुथल मचा रही है। साथ लगते पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा में तो पदक विजेताओं को हाथों-हाथ सरकारी नौकरी मिल रही है लेकिन वर्ष 2020 में टोक्यो पैरा ओलंपिक में भी रजत पदक जीतकर देश को गौरवांवित करने वाले इस पैरा एथलीट को अभी भी प्रदेश सरकार सरकारी नौकरी तक नहीं दे पाई है। निषाद की मां पुष्पा देवी को बेटे की कामयाबी की खुशी है तो प्रदेश सरकार से इसका मलाल भी कि उनके बेटे से साथ भेदभाव क्यों हो रहा है। पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा में ओलंपिक खेलों में मेडल जीतने वालों को सरकार हाथों-हाथ लेते हुए उन्हें सरकारी नौकरी तक पुरस्कार के
रूप में देती है।


ऐसे में आखिर प्रदेश सरकार की राह में ऐसा क्या रोड़ा है कि दो पैरा ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले निषाद कुमार के लिए अभी तक सरकारी नौकरी देने का ऐलान नहीं हुआ है। जाहिर है कि अगर खिलाडिय़ों को प्रदेश सरकार बराबर मान-सम्मान दे तो जनसंख्या के लिहाज से छोटे प्रदेश हिमाचल में भी युवाओं को खेल के माध्यम से उज्जवल भविष्य दिखेगा और युवा खेल को अधिमान देंगे। रजत पदक विजेता निषाद कुमार की मां पुष्पा देवी जो स्वयं बालीवाल व शाटपुट की राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं उन्हें यह मलाल है कि हिमाचल की उदयमान प्रतिभाओं को कोई पूछता ही नहीं है। ये भी एक वजह है कि कई उत्कृष्ट खिलाड़ी बीच में ही खेल को छोड़ जाते हैं। पुष्पा देवी का कहना है कि कम से कम ओलंपिक व पैरा ओलंपिक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाडिय़ों को तो सरकारी नौकरी देकर सरकार को सम्मानित करना ही चाहिए। इससे युवाओं में आत्मविश्वास जगेगा और उन्हें खेलों में भी उज्जवल भविष्य नजर आएगा। निषाद का परिवार पिछले करीब सात महीनों से उससे मिला तक नहीं है इसलिए अब सबको जल्द ही निषाद के घर पहुंच जाने का इंतजार है। सारा परिवार बेटे के भव्य स्वागत की तैयारियों में जुटा है।
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