Bhuntar. भुंतर। केंद्र सरकार की अति महत्वकांक्षी मनरेगा योजना से आमदनी बढ़ाने में देवभूमि कुल्लू की नारीशक्ति पुरुषों पर भारी पड़ी है। जिला में 52.41 फीसदी महिलाओं ने मनरेगा में इस साल रोजगार पाया है जबकि 47.59 फीसदी पुरूष कामगारों ने ही इस योजना का लाभ उठाया है तो कार्यदिवस भी महिलाओं के 54.7 फीसदी दर्ज हुए हैं। हैरानीजनक यह है कि पिछले पांच सालों में केवल कुल्लू खंड को छोडक़र किसी भी अन्य खंड में पुरूष महिला कामगारों से ज्यादा काम लेने में सफल ही नहीं हो पा रहे हैं और यहां पर इस साल भी पुरुष कामगार ही अब तक ज्यादा काम लेने वाले बने हैं। कुल्लू जिला में कुल 100724 पंजीकृत परिवारों में 99348 परिवारों को जॉब कार्ड वितरित किए गए हैं। जिला अभी तक काम करने वाले 51019 परिवारों की 44397 महिलाओं ने रोजगार पाया है। कुल कार्यदिवसों की बात करें तो जिला में मनरेगा के तहत कुल 2291149 कार्यदिवस अर्जित किए गए हैं। जिसमें महिलाओं ने 1253102 कार्यदिवस लगाए हैं जबकि पुरूष कामगारों ने 1038047 कार्यदिवस अर्जित किए हैं।
इस साल अभी तक आनी में 11151 महिलाओं, बंजार में 11586, भुंतर में 4921, कुल्लू में 2996, नग्गर में 3993 तथा निरमंड में 9750 महिलाओं ने रोजगार पाया है। आनी में 558489 कार्यदिवसों में से 300951 कार्यदिवस महिलाओं के हैं तो बंजार में 670619 में से 370669, भुंतर में 247250 में से 126109, कुल्लू में 161818 में से 73100, नग्गर में 193533 में से 112299 तथा निरमंड में 459440 में से 269974 कार्यदिवस महिला कामगारों के हैं। आनी खंड में अब तक 52 फीसदी, बंजार में 52, भुंतर में 50.53, कुल्लू में 46.11, नग्गर में 55.33 जबकि निरमंड में 55.50 फीसदी महिलाओं ने कार्य किया है। योजना में महिलाओं की अधिक संख्या और ज्यादा रोजगार ने उस मिथ्य को भी तोड़ा है कि महिलाएं मनरेगा में काम नहीं कर सकती है। बताया जा रहा है कि सरकारी व गैर-सरकारी संस्थानों में नौकरी तथा कृषि-बागबानी कारोबार के कारण भी जिला के पुरूष इसमें ज्यादा पंजीकरण नहीं कर रहे हैं जबकि महिलाओं के लिए योजना आय संवर्धन का बड़ा जरिया बन रहा है। इसके अलावा मनरेगा में कम दिहाड़ी मिलना भी पुरूषों को इस योजना से दूर रख रहा है। कुल्लू की ग्रामीण विकास विभाग की परियोजना अधिकारी जयवंती ठाकुर का कहना है कि महिलाओं ने मनरेगा में बेहतर साबित किया है।