Shimla. शिमला। हिमाचल सरकार ने राज्य बिजली बोर्ड में सुधार के लिए दो महत्त्वपूर्ण टास्क दिए हैं और इसके लिए 10 जनवरी की डेडलाइन दी गई है। हाल ही में विधानसभा के शीतकालीन सत्र से लौटने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के लिए समीक्षा बैठक की थी। इसमें बिजली बोर्ड के अलावा ऊर्जा निदेशालय, पावर कॉरपोरेशन और ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन की अधिकारी शामिल हुए। राज्य सरकार ने बिजली बोर्ड को अपने लोन की रिस्ट्रिक्शन करने को कहा है, ताकि अधिक ब्याज के भुगतान से बचा जा सके। बिजली बोर्ड के पास अभी कैपिटल वक्र्स में 1500 करोड़ का लोन चल रहा है, जबकि 2000 करोड़ से ज्यादा का लोन इसके अलावा है। बिजली बोर्ड से यह शेड्यूल मांगा गया है कि यदि अन्य फंडिंग एजेंसी को लोन ट्रांसफर किया जाए, तो कितना ब्याज बचेगा? इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि ऐसे पावर परचेज एग्रीमेंट जो बोर्ड के द्वारा साइन किए गए हैं और जिन में महंगी बिजली मिल रही है, उनसे कैसे बाहर निकला जाए?
बिजली बोर्ड राज्य के लोगों को बिजली देने के लिए जो परचेज करता है, इसका औसत रेट 3.50 रुपए प्रति यूनिट है, लेकिन बिजली बोर्ड में इससे महंगे रेट के भी पावर परचेज एग्रीमेंट कर रखे हैं। इनमें से कई एग्रीमेंट में पांच से सात रुपए प्रति यूनिट भी बिजली ली जा रही है। इन एग्रीमेंट से बाहर निकलना होगा। इसकी एक वजह यह भी है कि अब सोलर पावर भी इसी रेट पर मिल रही है। हालांकि वह सिर्फ दिन में ही उपलब्ध है। ये दोनों मामले देखने के बाद बिजली बोर्ड को 10 जनवरी तक राज्य सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। राज्य सरकार ने बिजली बोर्ड की एक ट्रांसमिशन लाइन को अब ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन को ट्रांसफर करने का फैसला किया है। यह 400 किलो वोल्ट की लाइन नालागढ़ और कुनिहार के बीच बनी थी, जिसे फुल कैपेसिटी में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। करीब पांच साल पहले इस लाइन पर 150 करोड़ रुपए बिजली बोर्ड ने खर्च किए थे। इस लाइन के पूरी तरह ऑपरेट हो जाने से सोलन के कुछ हिस्सों से लेकर राजधानी शिमला तक पावर सप्लाई स्टेबल रहेगी। यह ट्रांसमिशन लाइन नालागढ़ स्टेशन से बिजली ट्रांसफर करेगी।