Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने चिट्टे की तस्करी के झूठे आपराधिक मामले में फंसाने की धमकी देकर जबरन वसूली के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश जारी किए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने संज्ञेय अपराधों की तुरंत प्राथमिकी दर्ज न करने पर प्रदेश पुलिस के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा प्रदर्शित आचरण को प्रथम दृष्टया भी नहीं कहा जा सकता है। याचिकाकर्ता ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ आरोप लगाए हैं। प्रार्थी द्वारा दी शिकायत की जांच को सीबीआई को सौंपते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य की कानून को प्रभावी बनाने वाली एजेंसी द्वारा पीडि़त के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने और प्रार्थी के सत्य की खोज के अधिकार को बनाए रखने के लिए यह अदालत प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को धारा 385, 120-बी आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर संख्या 106/2024 दिनांक 10-6-2024 की जांच पुलिस अधीक्षक, केंद्रीय जांच ब्यूरो, शिमला को स्थानांतरित करने का निर्देश देती है। निष्पक्ष
कोर्ट ने सीबीआई को घटना की तुरंत अपराध रिपोर्ट दर्ज करने और उसके बाद जांच को उसके तार्किक अंत तक ले जाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने राज्य पुलिस को अपने डीजीपी के माध्यम से तीन दिनों के भीतर सीबीआई को संबंधित मामले का मूल रिकार्ड उपलब्ध करवाने का निर्देश भी दिया। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को इस मामले के सभी संबंधित पुलिस अधिकारियों के आचरण की जांच करने का भी निर्देश दिया। पुलिस को निष्पक्ष तरीके से काम करना होगा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में चूंकि कोई स्वतंत्र साक्ष्य एकत्र नहीं किया था, इसलिए पुलिस के आचरण को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कानून के शासन द्वारा प्रणाली में, कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। पुलिस सभी परिकल्पनाओं को खारिज करने के लिए जांच करने में दिखाई गई अनिच्छा, विशेष रूप से याचिक कर्ता द्वारा बताए एंगल, पक्षपातपूर्ण जांच के अभाव का अनुमान लगाने को पर्याप्त है। एफआईआर दर्ज करने में देरी को भी संदेह के बिना नहीं देखा जा सकता है। जेओए लाइब्रेरी के 767 सृजित पदों को भरने के लिए हिमाचल हाई कोर्ट में चल रहे मामले में सुनवाई 26 दिसंबर तक टल गई है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान डिप्टी एडवोकेट जनरल ने इस भर्ती को लेकर सरकार से निर्देश लेने हेतु अतिरिक्त समय मांगा। शासित