HP: 10 साल की उम्र से गांव-गांव जाकर कर रहे जाहरवीर के नाम का गुणगान

Update: 2024-08-24 12:02 GMT
Ghumarwin. घुमारवीं। प्रदेश भर में गांव-गांव जाकर लोगों को सुनाए जा रहे गुग्गा जाहरवीर के शादी, लड़ाई व अन्य प्रसंग आज भी लोग बड़े चाव से सुनते हैं। यह बात अलग है कि आधुनिक पाश्चात्य संस्कृति ने भी हमारे समाज पर अपनी अलग पहचान छोड़ी है। लेकिन फिर भी बदलते परिवेश में भी हमारी संस्कृति जिंदा है यह खुशी की बात है। लेकिन लोगों में इसे और रुचि कर बनाए रखना भी हमारे लिए एक चुनौती है। करीब 70 साल से गुग्गा जाहरवीर के जीवनी का गुणगान करते घुमारवीं उपमंडल की ग्राम पंचायत पनोह निवासी मंडली प्रमुख रामदास ने बताया कि वह मात्र 8,10 साल के थे जब वह गुग्गा जाहरवीर के गुणगान गाने गांव-गांव में जाने लग गए थे। उस समय लोगों में एक अलग ही जिज्ञाषा होती थी तथा लोग रात भर बड़े चाव से गुग्गा जाहरवीर के जीवनी के विभिन्न
प्रसंग चाव से सुनते थे।


हालांकि उस समय आने-जाने के साधन भी कम ही होते थे तथा लोग अंधेरे में चलते हुए भी उस घर में पहुंचते हैं, जहां रात्रि को गुग्गा जाहरवीर के जीवनी का गुणगान किया जाता था, जिसे आज भी डेरा या भारथ नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि आज भी लोगों में रुचि है, लेकिन बदलते परिवेश में वह अब इस नई तकनीक से सुनना चाहते हैं तथा इसके लिए विभिन्न वाद्य यंत्रों का भी उन्हें सहारा लेना पड़ता है, जिससे लोगों में रोचकता बनी रहे। उन्होंने कहा कि यह भी खुशी की बात है कि आगामी युवा पीढ़ी भी मंडली का गठन कर लोगों के घर जाकर गोगा जाहरवीर का गुणगान करते हैं। यह बात अलग है कि वह विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी पदों पर आसीन हैं। लेकिन इन दोनों वह स्पेशल अवकाश लेकर के घर-घर जाकर गोगा जाहरवीर की सेवा करते हैं। उन्होंने कहा कि 27 अगस्त को घर-घर जाकर गुग्गा जाहरवीर का गुणगान करना समाप्त हो जाएगा तथा रात्रि को आरती की जाएगी। वह अगले दिन झंडा फहराकर स्थानीय मेलों का आयोजन करते हैं, जिसमें लोग बढ़-चढक़र भाग लेते हैं। उन्होंने बताया कि आज भी उनकी इस जाहरवीर मंडली में विभिन्न सदस्य बंसी राम, श्याम लाल, बेसरिया राम, शंका राम, रोशन लाल व लच्छू राम सहित विभिन्न सदस्य अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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