Tapovan. तपोवन। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन भाजपा ने काम रोको प्रस्ताव का नोटिस देकर बाहर जाने की प्लानिंग की हुई थी, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष की चुनौती को स्वीकार कर ऐसा सियासी पैंतरा फेंका कि भाजपा को योजना बदलनी पड़ गई। इसके चलते विरोध प्रदर्शन में भाजपा के आधे ही विधायक भाग ले पाए, जबकि अन्य विधायकों को सत्र में ही बैठ कर चर्चा में भाग लेना पड़ा। हालांकि चर्चा में भाजपा विधायकों ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। भाजपा के काम रोको प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष ने और आगे करने की बात कही, लेकिन भाजपा विधायक सबसे पहले इस विषय पर चर्चा की मांग पर अड़ गए। इससे पहले चर्चा थी कि प्रदेश सरकार काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार नहीं होगी और भाजपा सदन से वाकआउट कर जाएगी, लेकिन विपक्ष के पैंतरों को भांपते हुए सीएम सुक्खू ने स्वयं कहा कि प्रदेश सरकार विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए तैयार है।
भाजपा ने जोरावर स्टेडियम में जन आक्रोश रैली का आयोजन किया था, इसलिए ऐसे सियासी गलियारों में ऐसे क्यास थे कि भाजपा वाकआउट कर जनआक्रोश रैली में पहुंचेगी, लेकिन सीएम ने चर्चा पर हामी भर कर सारे सियासी समीकरण बदल दिए। जब सदन में नियम 67 के तहत चर्चा हो रही थी, तो कुछ समय के लिए जयराम ठाकुर सदन से बाहर थे। इस दौरान सीएम ने कहा कि विपक्ष जिसे महत्त्वपूर्ण मानकर चर्चा चाह रहा था, उसी चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष का सदन में न होना दर्शाता है कि भाजपा कितनी गंभीर है। हालांकि शीतकालीन सत्र के पहले दिन सीएम सुक्खू की सूझबूझ के चलते दिन भर सौहार्दपूर्ण तरीके से चर्चा हुई। हालांकि इससे पहले सियासी गलियारों में यह चर्चा थी कि इस बार भाजपा तीखे तेवरों से शुरुआत करेगी, लेकिन शीकालीन सत्र का पहला दिन बिना किसी हंगामे के बीता और देर शाम तक भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा होती रही।