HP: सवालों से बचने के लिए बुलाया मात्र 4 दिन का शीतकालीन सत्र

Update: 2024-11-30 10:41 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र की तारीख तय होने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। सत्र की अवधि केवल चार दिन रखे जाने पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी एवं विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार विपक्ष के सवालों से बचने के लिए इस तरह के कदम उठा रही है। रणधीर शर्मा ने कहा कि वर्तमान कांग्रेस सरकार के निर्णयों ने देशभर में हिमाचल प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंचाया है। अब विपक्ष के सवालों से बचने के लिए चार दिनों का शीतकालीन सत्र बुलाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। यह तर्क दिया जाएगा कि मानसून सत्र को बढ़ाया गया था, लेकिन इससे पहले बजट सत्र को भी छोटा कर दिया गया था। रणधीर शर्मा ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के बयानों से लगता है कि वह सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष का पद गरिमा का प्रतीक है, लेकिन उनके हालिया बयान लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक मर्यादा के
खिलाफ हैं।


स्पीकर ने नौ विधायकों की सदस्यता को लेकर विवादित बयान दिए हैं, जो कि केवल विधायकों को डराने और दबाव बनाने के उद्देश्य से प्रतीत होते हैं। भाजपा को विश्वास है कि विधानसभा अध्यक्ष किसी भी गैरकानूनी और अलोकतांत्रिक कार्रवाई से बचेंगे।रणधीर शर्मा ने कहा कि स्पीकर की पिछले फैसले पर भी अदालत में सिर्फ स्टे नहीं दिया था। बाकी मेरिट पर निर्णय नहीं हुआ है। उपचुनाव घोषित होने के कारण विधायकों ने खुद अपनी याचिका वापस ली है। इसलिए स्पीकर निष्पक्ष रहें और खुद को कानून से ऊपर न समझें। यदि उन्होंने कोई अलोकतांत्रिक और तानाशाही पूर्ण फैसला लिया तो भाजपा इसका हर स्तर पर विरोध करेगी। भाजपा विधायक भी जनता के चुने हुए हैं और धमकियों से नहीं डरते। सुक्खू सरकार के दो साल पूरे होने पर जश्न मनाने की तैयारियों पर भी रणधीर शर्मा ने सवाल खड़े किए। सरकार के पास जनता को दिखाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है। केवल कांग्रेस कार्यकारिणी भंग करने का जश्न मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सरकार की नाकामियों को उजागर करने के लिए एक कमेटी बनाई है, जो जल्द ही प्रदेश की जनता के सामने सच्चाई लाएगी। सीपीएस केस में रणधीर शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल मामले पर स्थगन आदेश दिया है, अंतिम फैसला नहीं आया है। ऐसे में प्रदेश सरकार को छोटी-छोटी बातों पर उत्सव नहीं मनाना चाहिए।
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