देश के पहले CDS की कैसे हुई थी मौत? दुनिया को हादसे का सच पता चला

Update: 2024-12-20 05:54 GMT

फोटो: सोशल मीडिया

नई दिल्ली: देश के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की मृत्यु की वजह मानवीय चूक बताई गई है. उनकी मृत्यु के मामले में जांच के लिए गठित एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में आठ दिसंबर 2021 को हुई एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना के पीछे मानवीय चूक होना बताया है. जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और कई अन्य सशस्त्र बल कर्मियों की मृत्यु उस समय हो गई थी, जब उनका सैन्य हेलिकॉप्टर तमिलनाडु में कुन्नूर के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.
संसद में मंगलवार को पेश की गई रिपोर्ट में रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने 13वीं रक्षा योजना अवधि के दौरान हुई भारतीय वायुसेना के विमानों की दुर्घटनाओं की संख्या पर आंकड़े बताए. कुल 34 दुर्घटनाएं हुईं थीं, जिनमें 2021-22 में भारतीय वायुसेना के नौ विमानों के साथ दुर्घटनाएं हुईं और 2018-19 में 11 विमान दुर्घटनाएं शामिल हैं. रिपोर्ट में 'कारण' शीर्षक से एक कॉलम है जिसमें दुर्घटना की वजह 'मानवीय चूक' को बताया गया है.
रिपोर्ट में लिस्टेड 33वीं दुर्घटना के आंकड़ों में विमान का नाम 'Mi-17' बताया गया है, तारीख '08.12.2021' है और कारण 'HE(A)' या 'मानवीय भूल (एयरक्रू)' बताया गया है. रक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया कि इस अवधि के दौरान इन दुर्घटनाओं की 34 जांच की गई हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, 'मंत्रालय ने यह भी बताया कि इन जांच समितियों की सिफारिशें दुर्घटना के दोहराव को रोकने के इरादे से प्रोसेस, कार्यप्रणाली, ट्रेनिंग, उपकरण, कल्चर, संचालन, रखरखाव और प्रशासन की पूरी समीक्षा करती हैं.'
8 दिसंबर 2021 का दिन भारतीय सेना और देश के लिए एक बेहद दुखद दिन था. इस दिन भारतीय वायुसेना का एमआई-17 वी5 हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कोयंबटूर के सुलूर वायुसेना अड्डे से वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्टाफ महाविद्यालय के लिए उड़ान भर रहा था. इस विमान में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और अन्य 12 सशस्त्र बलों के कर्मी सवार थे.
लेकिन, यह यात्रा एक दुखद हादसे में तब्दील हो गई. हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद, हेलिकॉप्टर पहाड़ियों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस दुखद घटना में जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य कर्मियों की तुरंत मृत्यु हो गई थी. इस दुर्घटना के बाद, शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह अकेले जीवित बचे. उन्हें गंभीर चोटें आई थीं और उन्हें तुरंत अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. लेकिन दुर्भाग्य से, एक सप्ताह के भीतर इलाज के दौरान उनका भी निधन हो गया.
Tags:    

Similar News

-->