नोएडा (आईएएनएस)| ग्रेटर नोएडा वेस्ट की निराला एस्पायर सोसायटी में ट्यूशन से घर लौट रहा एक 8 साल का मासूम बच्चा लिफ्ट में फंस गया। लिफ्ट में सवार होने के बाद बच्चे ने जैसे ही बटन दबाया, लिफ्ट चौथे व पांचवे फ्लोर के मध्य में अटक गई। लिफ्ट में तकनीकी खराबी आने के बाद बच्चा करीब 10 मिनट तक फंसा रहा। बच्चे के लिफ्ट में फंसने का वीडियो वायरल हो रहा है। मामले में सुरक्षा गार्ड की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इससे पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसमे 29 नवंबर को क्रॉसिंग रिपब्लिक की एसोटेक नेस्ट हाउसिंग सोसायटी की एक लिफ्ट अचानक से खराब हो गई और तीन बच्चियां लिफ्ट में फंस गईं। मामलों की शिकायत मिलने पर पुलिस जांच करने की बात करती है।
लेकिन लाखों रुपए देकर भी लोगों की जान जब लिफ्ट में फंस जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होता है।
निराला एस्पायर सोसाइटी मे लाखों रुपए चुका कर अपने सपनों का घर खरीदने वाले प्रियांशु दास अपने परिवार के साथ ए 8 टावर में 14 वीं मंजिल पर रहते हैं। उन्होंने बताया कि उनका बेटा ट्यूशन पढ़कर घर लौट रहा था। इस दौरान बेटे ने ग्राउंड फ्लोर से ऊपर जाने के लिए लिफ्ट में चढ़ा। वह पढ़ाई करने के लिए अपनी साइकिल से गया था ऐसे में वह साइकिल के साथ ही लिफ्ट में फंस गया।
सोसायटी के मेंटेनेंस का कहना है कि बच्चा साइकिल लेकर लिफ्ट में चढ़ा था, जिसके दरवाजे पर टकराने से लिफ्ट का दरवाजा हल्का-सा खुल गया था जिसकी वजह से लिफ्ट रुक गई। लेकिन मेंटेनेंस स्टाफ इस बात का कोई जवाब नहीं दे पाया कि जो सुरक्षाकर्मी सीसीटीवी कैमरे से लिफ्ट की मॉनिटरिंग कर रहे थे वह कहां गायब हो गए। बहरहाल घटना की शिकायत थाने में की गई है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।
इस मामले को लेकर बिल्डर भी खासे परेशान दिखाई दिए। निराला बिल्डर के मालिक एसके गर्ग ने आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए बताया कि जब वह अपनी सोसाइटी में लिफ्ट और दूसरों उपकरण लगाते हैं तो इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनकी क्वालिटी अच्छी हो।
उनका कहना है इसकी जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की होती है, जिसको ठेका दिया जाता है। मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी कंपनी की होती है। उन्होंने बताया की बिल्डिंग बनाने के बाद के मेंटेनेंस का काम संबंधित कंपनी का होता है और उसके बाद जब बिल्डिंग को अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन को ट्रांसफर कर दी जाती है तब ये जिम्मेदारी उनकी होती है।
मेंटेनेंस करने वाली एक कंपनी के अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि जब उन्हें बिल्डिंग में मेंटेनेंस का काम मिलता है तो वह उसे करते हैं। कई बार कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम आने की वजह से लिफ्ट में लोगों के फंसने के हादसे सामने आ रहे हैं।
ऐसे में यह भी हो सकता है कि अगर बिल्डिंग में मेंटेनेंस का काम करने वाली कंपनी ने मेंटेनेंस सही समय पर नहीं किया है तो इस तरीके की दिक्कत सामने आ सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि अगर मेंटेनेंस सही समय पर हो रहा है और कई बार कुछ बटनों के साथ छेड़छाड़ हो जाती है या गड़बड़ी होती है तो भी लिफ्ट अटक जाती है।
उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अचानक खराब हो जाता है जिसकी वजह से इस तरीके की दिक्कतें सामने आती हैं जिनमें शॉर्ट सर्किट, पार्ट का खराब होना या फिर उसका मेंटेनेंस सही समय पर ना होना मुख्य वजह है।
लगातार होते इस तरीके के हादसों को देखकर लोग परेशान हैं। उनका कहना है कि उन्होंने लाखों रुपए देकर अपने सपनों का घर खरीदा है। वह मेंटेनेंस भी हजारों की मोटी रकम में देते हैं। तो उन्हें अच्छी सुविधाएं क्यों नहीं मिलती?
इसके लिए लोग बिल्डर को दोषी मानते हैं। उनका यह भी कहना है कि कई बार अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन और बिल्डर की लापरवाही साथ देखने को मिलती है जब लिफ्ट जैसे उपकरण की हर महीने सर्विस होनी चाहिए तो लापरवाही करते हुए उसके सर्विस नहीं की जाती जिसके चलते लाखों के मकान में जान लिस्ट में फंसी रह जाती है।